मन लागो मेरो यार फकीरी में : ‘ओडिशा का मोदी’प्रताप चंद्र सारंगी

1 0
Read Time9 Minute, 9 Second

rinkal sharma

आजकल मीडियाऔर सोशल मीडिया में चुनावी नतीजों के लेकर जितनी हलचल मची हुई है, उससे कहीं ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी में बीते 30मई 2019 को हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के शपथ समारोह में शपथ लेने के लिए ओडिशा में अपनी झोपड़ी से निकलते हुए कमज़ोर से दिखने वाले और ईमानदार माने जाने वाले एक 64 वर्षीय एक व्यक्ति की तस्वीरें मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया लोगों को काफी आकर्षित कर रही हैं। ये तस्वीरें प्रताप चंद्र सारंगी की हैं, जिन्हें ‘ओडिशा का मोदी’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बालासोर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव अरबपति प्रत्याशी को लगभग 13,000 वोटों से मात दी। अब नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्रालयों – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन विभाग में उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
प्रताप गोविन्द चंद्र सारंगी का जन्म 4 फरवरी 1955 को गोपीनाथपुर ग्राम के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होने 1975 में उत्कल विश्वविद्यालय के अधीन बालेश्वर के फकीर मोहन महाविद्यालय से कला में स्नातक उपाधि प्राप्त की। चेहरे पर सफेद दाढ़ी, कम बाल, साइकिल और बैग उनकी पहचान हैं। प्रताप चंद्र सारंगी एकदम साधारण से कपड़े पहनते हैं। प्रतापचन्द्र सारंगी आज भी झोपड़े में रहते है। ग्राम पंचायत के हैंडपंप पर स्नान करते हैं। प्रताप चंद्र सारंगी लगातार समाज सेवा में लगे रहते हैं। उनके पास केवल 15,000 रुपये नकद हैं। उनकी चल संपत्ति 1.5 लाख रुपये और अचल संपत्ति कुल 15 लाख रुपये की है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की औसत संपत्ति लगभग 4 करोड़ रुपये थी I करोड़ों खर्च कर अरबों कमाने का जरिया बन चुकी राजनीति में प्रताप सारंगी कई बरसों से सादगी के हस्ताक्षर बने हुए हैं। भगवा झंडा थामकर प्रताप सांरगी दो बार ओडिशा विधानसभा में बैठ चुके हैं। सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं। मगर आज भी न तो इनके पास अपना बड़ा सा मकान है, न गाड़ी है, न पुलिस की फोर्स है।
हालाँकि एकहलफनामे से यह भी पता चलता है कि उनके खिलाफ सात आपराधिक मामले लंबित हैं।उनके खिलाफ आपराधिक धमकी, दंगा, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जबरन वसूली के भी आरोप हैं। इनमें से अधिकांश मामले ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल के गठबंधन से बनी सरकार के दौरान दर्ज किए गए थे। मार्च 2002 की एक घटना में, जब सारंगी आरएसएस से जुड़े उग्र हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब उन्हें ओडिशा पुलिस ने दंगा, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति(ओडिशा विधानसभा की ही इमारत) को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। ओडिशा विधानसभा की इस इमारत पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), दुर्गा वाहिनी और सारंगी के नेतृत्व में बजरंग दल जैसे संगठनों ने त्रिशूल और लाठियों से लैस 500 लोगों की भीड़ जुटाकर हमला करवाया था।जनवरी 1999 में भी ओडिशा में बजरंग दल के प्रमुख सारंगी थे, तब उन पर आरोप लगा कि एक ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके 11 व 7 वर्ष की उम्र के दो बेटों को बजरंग दल से जुड़े एक समूह द्वारा जिंदा जला दिया गया था।उस समय आरएसएस और सारंगी के नेतृत्व में बजरंग दल ईसाई मिशनरियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे। इन लोगों ने मिशनरियों पर आरोप लगाया था कि वे लोग आदिवासियों का जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। ये बात और है किफरवरी 1999 में रेडिफ को दिए एक साक्षात्कार में सारंगी ने इस बात से इनकार किया कि बजरंग दल ग्राहम स्टेंस और उनके बेटों की हत्या में शामिल था। साथ ही उन्होंने हत्या की निंदा भी की थी। उस समय उन्होंने ओडिशा में ईसाइयों की बढ़ती आबादी के बारे में भी चिंता व्यक्त की और ईसाई मिशनरियों पर बलपूर्वक लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया था।
लेकिन बहुत-सी मुश्किलों और विवादों के बीच भी झोपड़पट्टी में रहने वाले प्रताप चंद्र सारंगी ने लोकसभा चुनाव में अरबपति प्रत्याशी को मात दी। सिर्फ पैसों से चुनाव लड़ने के मिथक को गरीबी और ईमानदारी से ध्वस्त करने वाले प्रताप सारंगी ने, इस दौर में जब राजनीति को पैसे वाले अपनी जेब में लेकर चलते हैं, अरबपति उम्मीदवार को हरा कर एक नयी मिसाल साबित की है। विजेता बने प्रताप चंद्र सारंगी की उनके इलाके में अच्छी पकड़ है। इसी वजह से वे लगभग 13,000 वोटों से जीते है। प्रताप चंद सारंगी 542 सांसदों में आर्थिक रुप से सबसे गरीब सांसद हैं, जिनके पास मोबाइल तक नहीं है। बता दें कि सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि कुछ वरिष्ठ पत्रकारभी उनकी जीवनशैली, रहन-सहन और सादगी के लिए उनकी सराहना कर रहे हैं, जैसे- उन्होंने अपना चुनाव प्रचार भी साइकिल पर किया, वे आज भी कहीं आने-जाने के लिए निजी वाहन का नहीं बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करते हैं। अपनी सादगी से लोगों को दीवाना बनाने वाले सारंगी पहली बार सांसद बने हैं और ओडिशा में उन्हें “फकीर नेता” कहा जाता है।भारत, भारतीय जनता और राजनीति ने हमेशा से ही सादगी और ईमानदार नेताओ का हाथ खोल कर स्वागत किया है, लेकिन हमेशा से ही उसको निराशा हाथलगी है जब उन्हीं नेताओ ने संसद के गलियारों में आने के बाद अपना रूप बदल कर जनताकी उम्मीदों को तोड़ा है। उस लिहाज़सेसारंगी जी पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है किजनता के विश्वास को बनाये रखें।उम्मीद है, फकीर नेता अपने प्रदर्शन से और भी ईंमानदार लोगों को राजनीती में आने को प्रेरित करेंगे।

#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा 
अनुभव –  2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन ।  साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका  के रूप में कार्यरत।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

विदाई

Mon Jun 3 , 2019
उसके   शहर   से   गुजरते   हुए, मैं   उसके   वादे   लौटा   आया। जिस जगह वो मुझसे मिलती थी, वहाँ  से  अपने निशां मिटा आया। उसके   शहर   से   गुजरते   हुए, मैं हँसते हुए उसे विदाई दे आया। हँसते  हुए अब  जीवन  जिये  वो मैं  आँशुओ  को  गले लगा आया। उसके  शहर  से  गुजरते  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।