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हो जो कोई मेरा विरोधी,
मैं सहर्ष करूँ उसको स्वीकार।
दृष्टिकोण उसका भी समझूँ,
ना करूँगा उसका प्रतिकार॥
समझकर उसके विचार,
बदलूंगा अपना व्यवहार।
बदलेगी जीवन शैली तब,
बदलेगा मेरा आचार॥
नई सम्भावनाएं,नए दृष्टिकोण,
मन में मेरे लेंगे आकार।
शुद्ध व्यक्तित्व मेरा होगा,
होंगे दूर,मन के विकार॥
हो जो कोई मेरा विरोधी,
मैं सहर्ष करूँ उसको स्वीकार।
जीवन मेरा बदलने हेतु,
व्यक्त करूँ उसका आभार॥
#जय रामटेके ‘दाम्यंत्यायन’
परिचय : जय रामटेके ‘दाम्यंत्यायन’ बैहर तहसील (जिला बालाघाट)में रहते हैं। करीब 7 वर्ष से लेख, कविताएँ,लघुकथा इत्यादि लिखने में सक्रिय होकर वर्तमान में मानवशास्त्र,पुरातत्व तथा दर्शन के विद्यार्थी हैं। अपने गृहक्षेत्र में संस्था के माध्यम से सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं।
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Fri Jul 28 , 2017
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