हो जो कोई मेरा विरोधी, मैं सहर्ष करूँ उसको स्वीकार। दृष्टिकोण उसका भी समझूँ, ना करूँगा उसका प्रतिकार॥ समझकर उसके विचार, बदलूंगा अपना व्यवहार। बदलेगी जीवन शैली तब, बदलेगा मेरा आचार॥ नई सम्भावनाएं,नए दृष्टिकोण, मन में मेरे लेंगे आकार। शुद्ध व्यक्तित्व मेरा होगा, होंगे दूर,मन के विकार॥ हो जो […]

शारदे माँ तारदे माँ,जीवन संवार दे माँ, लेखनी से मेरी माता,देश का विकास हो। गीत लिखूँ जीत के माँ,हँसी-खुशी,प्रीत के माँ, धरती अकाश झूमे,जब मधुमास हो। न रहे गरीब कोई,न बेरोजगार रहे, अंधियारा मिटे और ज्ञान का प्रकाश हो। जाति-पाती बन्धनों में बंधा न ये देश रहे, सबके दिलों में […]

इत्तेफ़ाकी भरा आलम न रहे, मैं मैं ना रहूँ और तू  तू न रहे। इन्तज़ार मुझे फिर यूं न रहे, मैं मैं ना रहूँ फिर तू तू न रहे। मैं ख़ुद से तुझे…रिहा कर दूँगा, बहती हुई तुझे…हवा कर दूँगा। के हर कोई तुुझे…चाहेगा पाना, ऐसी ही हसीन…सज़ा कर दूँगा॥ […]

ये हमारे यहाँ का बड़ा ‘अजीब’ रिवाज़ है..जन्म लेते ही लोगों को दो वर्ग में बाँटने का। दो -काले और गोरे का वर्ग। बात यहीं पर ख़त्म नहीँ होती है। बड़ी प्रतिभा है हममें,इसके अंदर भी बढ़िया वर्गीकरण है..काले तो कितने काले,सांवले और गोरे में भी गेंहुएं,दूधिया,अलाना-फलाना,इम्का ढिमका। वर्गीकृत करना […]

जब भी रहूँ दुख में तब, मैं इसको गले लगाता हूँ.. खुश होता हूँ जब भी मैं, इसे होंठों से लगाता हूँ। यही प्रतिपल है मेरे आलिंगन की अधिकारी, मेरी कलम ही है असल में,मेरी प्रेमिका प्यारी। शब्द अनेक हैं अंदर मेरे, मोतियों से बिखरे पड़े.. माला बनाकर,मेरी कलम उन्हें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।