घने अंधेरा को काटेगे
अमा निशा मे प्रकाश बांटेगे
दीपो ने यह ठाना है
अंधेरा दूर भगाना है
दीपावली मनाना है
नही अंधेरा राज चलेगा
तम का जोर अब नही चलेगा
दीप पंक्ति जलाना है
दीपावली मनाना है
अंतर तम भी दूर करेगे
अब तो मन मालिन्य कटेगे
श्वेत चांदनी लाना है
दीपावली मनाना है
पैसे धुए मे नही उडाए
देशी दिये ही सभी जलाए
प्रदूषण मुक्त बनाना है
दीपावली मनाना है
धन का सदुपयोग करेगे
निर्धन तक खुशी पहुचाना
देशी दिये जलाना है
दीपावली मनाना है
खुशी बढेगी बिना पटाखे
गरीबो को आज निवाले
ये सब काम निराला है
दीपावली मनाना है
कही अंधेरा नही बचेगा
विन्ध्य तक प्रकाश पहुचेगा
अब हम सबने ठाना है
दीपावली मनाना है।
# विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
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