जय जय जय हे भारत माता।
तुम त्रिभुवन की भाग्य विधाता॥
वेद,पुराण,तुमहि नित ध्यावै।
धरती,अम्बर ध्यान लगावै॥
शस्य श्यामलां धरा तुम्हारी।
इस जहान में सबसे प्यारी॥
छः ऋतुएं भारत में आए।
शरद शिशिर हेमंत सुहाए॥
ग्रीष्म,वसंत व वर्षा राजे।
चहुँदिसि भारत महिमा साजे॥
निशदिन सागर पाँव पखारे।
भागीरथी सृष्टि को तारे॥
हिन्द अरब नित शीश झुकावे।
भारत माता के गुण गावे॥
गंगा,सरयू,सिंधु निवासा।
ब्रह्मपुत्र नर्मदा के वासा॥
कावेरी,यमुना नित बहती।
जय जय जय भारत माँ कहती॥
रावी,झेलम पतित पावनी।
यती सती के मनहि भावनी॥
सिर पर मुकुट हिमालय साजे।
विंध्याचल पश्चिम में राजे॥
अरावली की कीर्ति बखानी।
नीलगिरि पावन सम्मानी॥
इसी कंदरा ऋषि मुनि रहते।
मानसरोवर इनसे बहते॥
अद्भुत रक्षक बना हिमालय।
शिव शम्भू का यह है आलय॥
अति विशाल भारत की गाथा।
सदा झुकाओ इसको माथा॥
इनसे जड़ी-बूटियां मिलती।
अद्भुत उपवन इन पर खिलती॥
यही बसी रहती माँ अम्बे।
वैष्णो,काली या जगदम्बे॥
यह गीता का गान सुनाया।
रामचरित मानस यह गाया॥
वेद,पुराण की अद्भुत माया।
जन-जन को यह देश सुनाया॥
सदा भागवत ज्ञान सुनाता।
बुद्धि विवेक इसी से आता॥
कृष्ण ने पावन गीता बाँची।
रामचरित है जग में साँची॥
कालिदास तुलसी सम ज्ञानी।
धन्वंतरि अश्वनि विज्ञानी॥
वेदव्यास जी मान बढ़ावै।
सब मिल भारत गान सुनावै॥
नीति निपुण हर शास्त्र के ज्ञाता।
भारत महिमा जग विख्याता॥
काशी मथुरा यही निवासा।
अति पावन प्रयाग करि वासा॥
अमरनाथ की महिमा भारी।
अवध भूमि जन हित उपकारी॥
राम,कृष्ण इस भूमि पधारे।
शिव अवधरदानी तन धारे॥
पवन पुत्र है सदा सहायक।
श्री गणेश पूजन के लायक॥
जहाँ लक्ष्मण भरत से भ्राता।
भ्रात प्रेम में राज न भाता॥
शीतल चन्दन यही निवासा।
पीपल बरगद पूजा जाता॥
प्रथम सूर्य जिस देश में आये।
शीतल चंद्र शीश नित ध्याये॥
मनु ने मानव यही बनाए।
भागीरथ हैं गंगा लाए॥
ज्योतिष शास्त्र जहाँ जग सीखा।
प्रथम शून्य तुम में ही दीखा॥
विश्वगुरु बन ज्ञान सिखाया।
धर्म ज्ञान तुम से ही आया॥
भारत माँ जग दास तुम्हारा।
तुमने ही जग को उद्धारा॥
माँ की महिमा कब तक गाऊँ।
पुत्र हूँ मैं क्या मान बताऊँ॥
जान दिया है मान दिया है।
माँ तुमने सम्मान दिया है॥
सदा मात कृपा बरसाओ।
राम कृष्ण फिर से उपजाओ॥
जो यह पढ़े भारत चालीसा।
भक्ति बढ़े बजरंगबली-सा॥
‘मदन’ कहत है नत कर माथा।
सब मिल गाओ भारत गाथा॥
#सनी गुप्ता ‘मदन’
परिचय: सनी गुप्ता ‘मदन’का निवास तथा जन्म स्थान-आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश)है। आप १२ अप्रैल १९९४ में जन्में हैं। वर्तमान में बी.टेक. में अध्ययनरत हैं। लेखन कॊ ही भविष्य बनाने के लिए प्रयासरत श्री गुप्ता की रचनाएँ कई पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। आपको नारी साहित्य भारती,युवा कवि सम्मान तथा विद्यालयों से भी सम्मान मिला है।