नहीं रहे हिन्दी कवि अजित कुमार…विनम्र श्रद्धांजलि

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हिन्दी के प्रसिद्ध कवि अजित कुमार का फोर्टिस अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गयाl वह ८६ वर्ष के होकर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थेl अजित कुमार का जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव में जमींदार परिवार में हुआ थाl उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा,बहन कीर्ति चौधरी और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी प्रसिद्ध कवियित्री थींl साहित्य और काव्य-प्रेम अजित जी को विरासत में मिला थाl काव्य प्रतिभा और सुलझे विचारों की बदौलत उन्होंने हिन्दी साहित्य जगत में अपना ऊंचा मुकाम हासिल कियाl उन्होंने कुछ समय कानपुर के किसी कॉलेज में पढ़ाया और फिर लंबे समय तक दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में अध्यापन कार्य करते सेवानिवृत्त हुएl उनके कई कविता-संग्रह प्रकाशित हुए-अकेले कंठ की पुकार‘, ‘अंकित होने दो‘,’ये फूल नहीं‘,’घरौंदा‘ इत्यादि हैंl  स्वभाव से मधुर और लोकप्रिय व्यक्तित्व अजित कुमार का हरिवंश राय बच्चन से निकट संबंध रहाl बच्चन जी के विदेश मंत्रालय में नियुक्त रहने के दौरान दोनों ने साथ में कई परियोजनाओं पर काम किया थाl राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘बच्चन रचनावली‘ के संपादक रहे अजित जी ने अभी हाल ही में उस रचनावली में दसवें और ग्यारहवें खंडों का विस्तार कियाl साहित्य के क्षेत्र में यह उनका अंतिम बड़ा योगदान हैl 

अजित जी एक महान कवि ही नहीं,एक अत्यंत मिलनसार,विनम्र और सहृदय व्यक्ति और एक अच्छे शिक्षक भी थे। अजित जी को पहली बार तब देखा था,जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.ए. में पढ़ रहा था। वैसे तो नौकरी के चलते सांध्य कक्षाओं में दाखिला लिया हुआ था,लेकिन जब कभी वक्त मिलता तो सुबह की कक्षाओं में भी जा बैठता था। वहीं उनसे पढ़ने का सौभाग्य मिला। बतौर शिक्षक उन्होंने काफी प्रभावित किया। फिर में मुंबई चला आया और विश्वविद्यालय की यादें भी धुंधली होती गईं।

दिल्ली में उनका निवास पीतमपुरा में हमारे घर के निकट था।
 मेरे छोटे भाई
अशोक का उनके यहाँ काफी आना-जाना था।
वे उसकी पत्नी को अपनी बेटी की तरह मानते थे। जब उसने मुझे अजित जी के बारे में बताया तो उनसे मिलने की इच्छा हुई।

करीब तीन साल पहले मैं उनके साथ अजित जी के घर गया था। आत्मीयता के साथ उन्होंने काफी लंबी चर्चा की

थी।
उनका आत्मीय व्यवहार आज भी मैं भुला नहीं सका। मैंने उन्हें ‘वैश्विक हिन्दी सम्मेलन -2014’ में पधारने का अनुरोध भी किया था। उन्होंने कहा था कि,स्वास्थ्य की परेशानियों के कारण उनका आना संभव न हो सकेगा।
कभी-कभार उनकी टिप्पणियाँ भी प्राप्त होती थीं
,जि
नसे मार्गदर्शन मिलता था। वह आलोक दीप अचानक बुझ गया,अब
उनकी स्मृतियाँ ही रह गई हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करेंl
                                                                             #डॉ.एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’

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नाम मेरा `विकास`

Mon Jul 24 , 2017
  नही हैं छाया पेड़ों की, जो है उसका कर रहा हूँ नाश नाम मेरा विकास। औद्योगिकीकरण की चादर ओढ़े, घूमूं छोटे–बड़े शहरों में हरियाली है दुश्मन मेरी लगाता हूँ कारखाना,कर जंगल साफ़, संग प्रकृति खेल रहा हूँ ख़्वाब है मेरा अंधविकास, नाम मेरा विकास। कारखानों से निकले रासायनिक प्रदार्थ, देता हूँ नदियों में डाल जल प्रदूषण में है योगदान, लक्ष्य है महाविकास चाहे हो मानवता का ह्रास, प्रकृति को नियंत्रित करूँगा है मेरा ये थोथा अभिमान, नाम मेरा विकास। वृक्षों से ऊँची है इमारतें अपार, घर–घर में वाहन हैं दो–चार वायु विषैली जीवन नर्क समान मशीनें करेगी काम-धाम आलस्य का होगा अधिकार, बन जाएगा नाकारा इन्सान.. नाम मेरा विकास। है विनाशक यंत्र,अणु–परमाणु बम, संहारक सम्पूर्ण मानवता का अविष्कार किया कई देशों ने, वर्चस्व स्थापित,शक्ति–दर्शाने को प्रयोग हुआ मिट जाओगे नाम मेरा विकास।।                                   […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।