बिहार कथा….. पूरी दुनिया में लोगों को इन्साफ उनकी भाषा में ही मिलता है। हमारे देश में भी राजाओं – महाराजाओं के जमाने से यही होता रहा है। अगर भारत पर विदेशी सत्ता कायम नहीं होती तो अब भी यही हो रहा होता। पर शायद हम दुनिया जैसे नहीं हैं। […]

सुनो दोस्तो एक सवाल फिर मन में उठ रहा है, हो ना जाना नाराज क्योंकि इंसान पार्टी में बट रहा है,, हम आराम से सोए इसलिए रात में कोई जग रहा है, उस पहरेदार के खून की दलाली आज कोई नेता कर रहा है,, दिल को झकझोर देती है ये […]

‘फोरम फॉर फास्ट जस्टिस’ के मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में आज मुझे यह अवसर मिला कि मैं भाषा के कारण देश के नागरिकों पर हो रहे अन्याय की बात रख सकूं। अधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। इस दो दिवसीय अधिवेशन के मुख्य अतिथि […]

ढोल-नगाड़ों की आवाज बता रही है कि विश्व हिंदी दिवस फिर आ गया है। ‘विदेशों में हिंदी’ ऐसे विषयों पर अनेक संगोष्ठियां होंगी। प्रवासी साहित्य की भी खूब चर्चा होगी। ‘विदेशों में हिंदी’ विषय पर आयोजित ज्यादातर कार्यकर्मों और संगोष्ठियों में प्रबुद्ध विद्वान वक्ता बड़ी ही खूबसूरती से ऐसे आंकड़े […]

राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना किसी व्यक्ति के जीवन का सर्वाधिक आनन्ददायी और अविस्मरणीय क्षण होता है, जिसे यह पुरस्कार मिलता है उससे भी ज्यादा उसके अपनों के लिए । कोई बड़ा सम्मान-पुरस्कार माता-पिता और गुरुजनों की उपलब्धि तो होता ही है लेकिन अर्धांगिनी को तो लगता है यह पुरस्कार उसे ही […]

अनकिया सभी पूरा हो                                              —चौं रे चंपू! लौटि आयौ मॉरीसस ते? —दिल्ली लौट आया पर सम्मेलन से नहीं लौट पाया हूं। वहां तीन-चार दिन इतना काम किया कि अब लौटकर एक ख़ालीपन सा लग रहा है। करने को कुछ काम चाहिए। —एक काम कर, पूरी बात बता! —उद्घाटन सत्र, अटल जी की स्मृति में दो मिनिट के मौन से प्रारंभ हुआ। दो हज़ार से अधिक  प्रतिभागियों के साथ दोनों देशों के शीर्षस्थ नेताओं की उपस्थिति श्रद्धावनत थी और हिंदी को आश्वस्तकर रही थी। ‘डोडो और मोर’ की लघु एनीमेशन फ़िल्म को ख़ूब सराहना मिली। और फिर अटल जी के प्रति श्रद्धांजलि का एक लंबा सत्र हुआ। ‘हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति’ से जुड़े चार समानांतर सत्र हुए। चार सत्र दूसरे दिन हुए। ‘हिंदी प्रौद्योगिकी का भविष्य’ विषय पर विचार–गोष्ठी हुई। प्रतिभागी विभिन्न सभागारों में जमे रहे। भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों को तिलांजलि दे दीगई, लेकिन रात में देश–विदेश के कवियों ने अटल जी को काव्यांजलि दी। तीसरे दिन समापन समारोह हुआ। देशी–विदेशी विद्वान सम्मानित हुए। सत्रों की अनुशंसाएं प्रस्तुत की गईं। भविष्य के लिए‘निकष’ को भारत का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।