चाहे तुम जीतो जग को,
मगरुर कभी मत होना।
होना पड़े विमुख इतने मजबूर,
कभी मत होना।
निज पलकों पर भले बिठा लो,
कोई चंद्रमुखी तुम।
माता-पिता के चरणों से तुम,
दूर कभी मत होना॥
#इन्द्रपाल सिंह
परिचय : इन्द्रपाल सिंह पिता मेम्बर सिंह दिगरौता(आगरा,उत्तर प्रदेश) में निवास करते हैं। 1992 में जन्मे श्री सिंह ने परास्नातक की शिक्षा पाई है। अब तक प्रकाशित पुस्तकों में ‘शब्दों के रंग’ और ‘सत्यम प्रभात( साझा काव्य संग्रह)’ प्रमुख हैं।म.प्र. में आप पुलिस विभाग में हैं।
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Thu Jul 13 , 2017
ओ मुसाफिर सँभल के चल, पीछे लग रही धूल है रास्ते में सब है अपना, ये तुम्हारी भूल है। जिसको तूने अपना, छोड़ा बीच राह पे भूल बैठा तुम यहाँ पे, तुम तो हो एक अजनबी। ओ मुसाफिर…॥ अपने पे विश्वास रखो तुम, मंजिल न अब तेरी दूर है इस […]
बहुत बहुत आभार आदरणीय
बहुत प्यारी रचना है आदरणीय |