रागिनी और सुमित की शादी की २५ वीं वर्षगाँठ थी । रागिनी के न चाहते हुए भी बच्चों ने सारी तैयारियाँ कर लीं । सभी के मन में सालगिरह को लेकर अलग ही उत्साह दिख रहा था । रागिनी की देवरानियों ने भी बहुत कुछ तैयारियाँ गुप्त रूप से कर रखीं थी जिसकी भनक उसे बिल्कुल नहीं थी ।
आख़िर में वो पल भी आ ही गया जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था । सभी रिश्तेदारों के बीच कार्यक्रम शुरू हुए । रागिनी ने सोचा भी न था कभी इतने सुव्यवस्थित तरीक़े से कार्यक्रम का आग़ाज़ हुआ । पहले उसे फूलों से सजाया गया फिर , मेहंदी लगी ये सब उसके लिए सपनों की तरह था सारा कुछ देवरानियों की मेहरबानी थी । उसे समझ नहीं आ रहा था वो रोए या हँसे । बस यही सोच रही थी कि सब मुझसे कितना प्रेम करते हैं सभी में कितना उत्साह है । किसी के चेहरे पे एक शिकन नहीं है सभी अपनी अपनी ज़िम्मेदारियाँ बख़ूबी निभा रहे हैं ।
शाम के समारोह की शुरूवात हुई । बड़े ही सुंदर ढंग से रागिनी को चुनरी के नीचे खड़ा किया गया और चारों ओर से उसकी देवरानियों ने घेर कर उसे स्टेज तक पहुँचाया उसे ये सब करते थोड़ा अजीब लग रहा था पर उसकी कोई सुनने वाला नहीं था । उसे एक के बाद एक उपहार मिल रहे थे जो चौंका रहे थे । केक काटने के बाद संगीत का कार्यक्रम हुआ सारा कुछ रागिनी को आश्चर्य चकित कर रहा था । सोच रही थी इतना कुछ कैसे कर लिया इन लोगों ने और इसी बीच एक और सरप्राइज़ जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी रागिनी ने वो था दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत उपहार जो उसे सुमित ने दिया । सुमित ने रागिनी की सहेली से पुस्तक छपवा लीं और उसे पता ही नहीं चला । सुमित ने रागिनी की पुस्तक का विमोचन करवाया रागिनी स्तब्ध खड़ी बस सुमित को निहारती रह गई मानो उसे सब कुछ मिल गया हो वो दो शब्द भी सुमित के लिए नहीं कह पाई पर उसका मौन शायद सुमित को सब कुछ बयाँ कर गया । वो बहुत कुछ कहना चाहती थी सुमित को पर शायद धन्यवाद जैसा शब्द बहुत छोटा था सुमित के *अनोखे उपहार* के लिए कोई शब्द ही नहीं थे।
अदिति रूसिया
वारासिवनी