पास मेरे प्रेम धन है,शेष मैं निर्धन बहुत हूँ… सोच लो अर्धांगिनी बनकर,तुम्हें क्या-क्या मिलेगा ? रेशमी साड़ी न होगी,कंचनी गहने न होंगें, और शायद दे न पाऊँ मोतियों वाली अँगूठी… हो महल कोई विभासित हे प्रिये! निश्चित नहीं है, अब बँधाना चाहता तुमको नहीं मैं आस झूठी..। तुम मिले […]

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देह दीपक बनी प्राण बाती हुए, द्वार पर हे प्रिये तुम सजा लो मुझे। बुझ न जाऊँ कहीं,ग़म के तूफान से, अपने आँचल से ढंक लो छुपा लो मुझे॥ है सुखों का उजाला अभी भाग्य में, बात मुझको बतानी है संसार को… ये मुहब्बत अगर मुझको मिलती रहे, दूर कर […]

नहीं बिखरा कभी भी वक्त की इन आँधियों से मैं, मगर क्यूं तोड़ देती हैं तुम्हारी सिसकियाँ मुझको। जु़दाई के समय मैंने कहा था-याद मत करना, ख़बर फिर याद की क्यूं दे रही हैं हिचकियाँ मुझको। दिखाई मैं दिया तुमको वहाँ तक एकटक देखा, बताती हैं तुम्हारे साथ की कुछ […]

भावना से रंग लेकर कल्पना के पृष्ठ पर जो, कर दिया मन ने निरुपित चित्र,तुमसे मिल रहा है। कालिमा है रात की ये रेशमी कुन्तल तुम्हारे, इस तरह बिखरे हवा से मेघ भी शरमा गए हैं… दो अधर भीगे सुधा से रंग जिनका है गुलाबी, है हँसी ऐसी जिसे सुन […]

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चाहे तुम जीतो जग को, मगरुर कभी मत होना। होना पड़े विमुख इतने मजबूर, कभी मत होना। निज पलकों पर भले बिठा लो, कोई चंद्रमुखी तुम। माता-पिता के चरणों से तुम, दूर कभी मत होना॥                               […]

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तीसरा कोई नहीं है एक तू है और मैं हूँ, हे प्रिये, मैं प्रीति की पावन कहानी लिख चुका हूँ। अब कहाँ जाऊँ अधूरी दासताँ को साथ लेकर, ज़ान मेरी नाम तेरे ज़िंदगानी लिख चुका हूँ।। आरजू है तू ही मेरी, तू ही तो लख़्ते जिगर है, आज फिर क्यूँ […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।