ये बारिश मन गीला कर दे

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pawan tiwari

ये बारिश तन गीला कर दे,

ये बारिश मन गीला कर दे|

जम के बरस रही है बारिश,

जैसे रग-रग गीला कर दे||

 

सब कुछ गीला–गीला कर दे,

आसमान को नीला कर दे|

दादुर भी अब सरगम गाएं,

सब कुछ शीतल–शीतल कर दे||

 

गर्मी को झट विदा ये कर दे,

मौसम मस्त सुहाना कर दे|

मीठी नींद है आने लागे,

चारों तरफ हरियाली कर दे||

 

सब कुछ धुला–धुला-सा कर दे,

तरु,पल्लव,पथ स्वच्छ ये कर दे|

धूल–धूसरित चर-अचर को,

ये बारिश सब चकमक कर दे||

 

अटकी आशा पूरी कर दे,

कितने दुखों को दूर ये कर दे|

खग,किसान और जीव-जन्तु सब,

सबके जीवन सुखमय कर दे||

 

गन्दगी को स्वच्छ ये कर दे,

प्रदूषणों से मुक्त ये कर दे|

उड़ते जहरीले धुओं को,

ये बारिश औकात में कर दे||

 

ये बारिश तो मंगल कर दे,

जंगल में भी मंगल कर दे|

पतित पावनी प्रकृति ये बारिश,

सब कुछ पावन-पावन कर दे||

                                                                             #पवन चिंतामणि तिवारी

परिचय : पवन चिंतामणि तिवारी का जन्म १९८२ मेंअम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) का हैl आपकी शिक्षा स्नातक एवं हिन्दी में ‘साहित्य रत्न’ हैl गत १८ वर्ष से मुंबई में निवास हैl १२ वर्ष की उम्र से लेखन कर रहे हैंlकई पत्र- पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया हैl आनलाइन पोर्टल एवं समाचार चैनल में कार्यकारी सम्पादक की जिम्मेदारी पर हैंl अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन करते हैंl पहला चर्चित कहानी संग्रह ‘चवन्नी का मेला’२००५ में प्रकाशित हुआ थाl अभी उपन्यास ‘अठन्नी वाले बाबूजी’ का दिल्ली से प्रकाशन हुआ हैl चित्रकला पर हिन्दी में सर्वाधिक लेखन व समीक्षा आप कर चुके हैंlआपकी कहानी ‘तेरे को मेरे को’ पर हिन्दी फिल्म भी बन रही हैl देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में १५०० से अधिक लेख,कहानियाँ,कविताएं प्रकाशित हैंl फिल्म राइटर्स एसोसिएशन के सदस्य,फिल्मों एवं एलबम में गीत लेखन के साथ ही स्वयं के ब्लॉग पर भी लिखते हैंlहिन्दी भाषा के उन्नयन एवं विकास सहित उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए आपको कई सम्मान प्राप्त हुए हैंlमहापंडित राहुल सांकृत्यायन एवं राष्ट्र कवि रामधारी सिंह `दिनकर` पर रेडियो(मुंबई) पर विशेष वक्तव्य प्रसारित हुआ हैll हिन्दी भाषा,कविता पाठ,पत्रकारिता और उसके उत्थान पर वक्तव्य एवं सेमिनारों में सहभागिता करते रहते हैंl आप स्वतंत्र लेखन करते हैंl

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