मेरे प्यारे बेटे राजा…..

0 0
Read Time2 Minute, 5 Second
sandhya
मेरे प्यारे बेटे राजा
जल्दी से घर आ जाओ।
दिवाली पर राह तके माँ,
कुछ दीप तुम भी जला जाओ,
आज बनाई घर मे गुजिया मीठी,
मावे की जगह प्यार भरा है इस मे और
बनाई मठरी ,लड्डू ,सकलपारे भी
थोड़ा सा तुम खा जाओ,
मेरे प्यारे बेटे राजा।
दूर बहुत भेजा है घर से ,
तुम को पढ़ने की खातिर
हर रात तुम्हारी चिंता में,
 नींद मुझे नही आती है।
जानती हूँ तुम्हे पसंद है,
गर्मा गर्म रोटी ,मेरे हाथ की।
घी के बिन नही,दाल तुझे है भाती।
पर होस्टल में कहाँ मिलता है घी का खाना।
कुछ रोज छुटियों में ही घर पर  आ जाना।
तेरे पसंद की खीर बनी है,
मालपुआ भी खा जाना।
जल्दी से खत्म कर के पढ़ाई,
इंजीनियर बन जाना।
जानती हूँ इंजीनियर बन के भी
कहाँ, साथ हम रह पायेगे।
तुम कहि विदेश चले जाओगे,
फिर वही घर अपना बसाओगे।
जब तक बूढ़ी नही हुई तेरी माँ,
माँ के हाथ का बना खाना खाने आ जाओ।
दूर बहुत सपनो की नगरी,
फिर भी थोड़ा प्यार जता जाना।
इस दीवाली पर मिलने आ जाना।
भेंट में बस प्यार है माँ-पापा का।
थोड़ा उसे सहेज लेना और दुआओ की
पोटली को साथ मे अपने ले जाओ।
माँ पापा का आशीष छत्र समझ कर रख लेना।
जब भी हो जरूरत,हिम्मत और विश्वास की।
थोड़ी सी गर्मी उस से ले लेना।
बस दूर नही अब डगर,
हौसलों की उड़ान में।
कदम चूमेंगी मंजिल तेरी,
हवाई उड़ान भरने में।।
मेरे प्यारे बेटे राजा
जल्दी से अब आ जाओ।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

*नई उड़ान,नया आसमां*

Thu Nov 1 , 2018
नई उड़ाने,नया आसमान, सुधिजन रचनाकारों का। सबके सब मिलकर कर देंगे, युग को नव आकारों का। .              चाहे जितनी  बाधा आए, कवि का धर्म निभाना है। नई सोच अरु नई उड़ाने, नव पथ भी दिखलाना है। .             मुक्त परिंदे बन के हम तो, नित नया आसमां नापें। नई उड़ान भरेंगें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।