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अहिँसा परमो धर्म हमारा,
पर आगे की सुन लो बात।
निजरक्षा के हेतु चलाना,
आता हमको घूँसा-लात॥
मातृभूमि होती सर्वोपरि,
अगर दिखाई उस पर आँख।
भूल अहिंसा को जाएंगे,
काटेंगे नव अंकुर पाँख॥
शस्त्र और शास्त्र दोनों ही,
रामायण गीता सिखलाय।
अब तो जागो मीत हमारे,
‘अवध’ सभी को रहा जगाय॥
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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