102, नॉट आउट, मनोरंजक फ़िल्म

0 0
Read Time5 Minute, 46 Second
edris
102, नॉट आउट
हस्ती गुदगुदाती फ़िल्म
नॉट आउट
अदाकार :- अमिताभ, ऋषि कपूर, जिमित त्रिवेदी,
निर्देशक :-  उमेश शुक्ला
संगीत :-  सलीम सुलेमान,
अवधि :-  101 मिंट
दोस्तो फ़िल्म से पहले एक छोटी चर्चा ज़रूरी है क्योंकि भारत मे भी अब परिवर्तित सिनेमा का दौर आ गया लग रहा है मिसाल के तौर पर न्यूटन, गुड़गांव, फुकरे, ओक्टोबर अब 102 नॉट आउट
कुछ फिल्मो के विषय ही आम इंसान के करीब होते हुवे गुजरते है क्योंकि फ़िल्म या तो मनोरंजक, या तो यथार्थवादी, या सामाजिक परिदृश्य को साकार करती होती है
लेकिन कुछ फ़िल्में केवल विषय परक होती है जो कि मनोरंजन के गलियारे से होते हुवे एक सन्देश पहुचाती है दर्शकों तक
तो यह फ़िल्म ठीक इसी तरह की फ़िल्म है
IMG_20180504_185335
कहानी
फ़िल्म की कहानी एक बाप बेटे और उसके बेटे पोते की कहानी है
बाबूलाल बखरिया (ऋषि कपूर) जिसकी उम्र 75 साल है उसकी जिंदगी में  महज डॉक्टर से मुलाकात और बेटा धीरू(जिमित त्रिवेदी) विदेश में रहता उसके इंतेज़ार के सिवा उसका बेटा पिछले 17 साल से पिता से वादे कर रहा है मिलने का लेकिन झांसा देकर टाल देता है,कोई ज़िंदगी का उद्देश्य ही नही बचा है साथ ही वह खुद को बुढा तस्लीम कर चुका है,
इनके पिताजी है दत्रात्र्य बखरिया जिनकी उम्र 102 साल है और इस उम्र में भी ज़िंदगी को जिंदादिली से जीते है साथ ही दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र दराज 118 वर्षीय चीनी शख्स से ज्यादा ज़ी कर रेकॉर्ड अपने नाम करना चाहते है,
बाबूलाल संकोची होने के साथ खुद को बुढा मान चुका है, ज़िंदगी को कायदे में जीने में विश्वास करता है लेकिन इनके पिताजी उन्मुक्तता के साथ जिंदादिली से ज़िंदगी को एन्जॉय करते हुवे जीते है
बेटा कैसा भी हो पिता को उसे खुश रखना ही कभी कभी उद्देश्य होकर साधना बन जाता है,
पिता अपने बेटे के सामने कुछ शर्तें रखते है कि यह शर्ते पूरी करो या वृद्धाश्रम में जाओ
पिता पुत्र के प्रयासों में जीत किसकी होगी इसके लिए फ़िल्म देखी जा सकती है
फ़िल्म इसी नाम केगुजराती नाटक पर आधारित है फ़िल्म का पहला हाफ दूसरे के मुकाबले कमज़ोर बना हैं
लेकिन दूसरा भाग रफ्तार से दौड़ता लगा, नाटक फ़िल्म के लेखक सौम्या जोशी है
पटकथा  विशाल पाटिल का है जो कि आपको गुदगुदाता है
पिता पुत्र, पौत्र के रिश्ते पर कितना भी हास्य पैदा किया जाए अंत मे मानवीय संवेदनाओं का जागना लाज़मी है
यही फ़िल्म में भी देखने को मिला
फ़िल्म पूरी तरह से पारिवारिक होकर मनोरंजक है
कलाकारों में महानायक लाजवाब है, ऋषि के अलावा जिमित भी बढ़िया अभिनय कर गए है|
27 साल बाद जोड़ी का आगमन निराश नही करता|
संगीत सलीम सुलेमान का है जो कि ज्यादा प्रभावित नही करता
पार्श्व संगीत जॉर्ज जोजेफ का भी औसत ही है
निर्देशक उमेश इसके पहले भी वह माय गॉड, अक्षय, परेश को लेकर गुजराती नाटक कर ही फ़िल्म बना चुके है
उनका निर्देशन पहले हाफ में थोड़ा ठिला दूसरे हाफ में कहानी की रफ्तार अनुसार ही लगा
लेकिन इस विषय पर फ़िल्म निश्चय ही एक सट्टा खेलने जैसा था उसमें वह सफल लगे उमेश ने शुरूआत की थी बिंदास चेनल के सीरियल ठूँठते रह जाओगे से,
फ़िल्म को 3 स्टार्स

         #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मजदूर हूँ

Sat May 5 , 2018
हाँ!मैं एक मजदूर हूँ, पर मैं मजबूर नही हूँ। मैं हमेशा ही खाता हूं, खून-पसीने की कमाई। मैं हमेशा ही करता हूँ, सभी लोगों की भलाई। मुझमे थोड़ी भी शर्म नहीं, क्योंकि मैं लाचार नहीं? मैं एक मजदूर हूँ!मजदूर। मेहनत कर रोटी खाता हूँ, मिट्टी से सोना उपजाता हूँ, और […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।