वह

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मुश्किल तो यह
है कि वह बड़ी
मुश्किल से
मिलता है

और मिलता है
जब तो बड़ी
मुश्किल से
खुलता है

चलता तो है
साथ मगर
मुश्किल से
चलता है

सिमटता है
शरमाता है
और दुनिया
से डरता है।

लगता तो है
कभी-कभी
ऐसे हो मेरा
नसीब जैसे

मुकेश तिवारी,

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक,
इन्दौर

परिचय:-

जन्म – इंदौर  (मप्र)
लेखन यात्रा – करीब तीन दशक से लगातार लेखन। स्कूल जीवन से लेखन की शुरुआत। काॅलेज की वार्षिक पत्रिका की संपादन टीम का हिस्सा। समाचार-पत्रों में पत्र से लेकर अनेक लेख, आलेख, मुख्य खबर,  साक्षात्कार और अब लघुकथाओं का लेखन। यूट्यूब चैनल से लघुकथाओं का प्रसारण। टीवी चैनलों पर राजनीतिक और अन्य विषयों पर चर्चाकार के रूप में आमंत्रित। 

दायित्व – दैनिक जागरण, नईदुनिया, पत्रिका, राज एक्सप्रेस, प्रभात किरण, दैनिक स्वदेश समाचार पत्र इंदौर में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। नईदुनिया, उज्जैन के ब्यूरो प्रमुख और

वेब पोर्टल घमासान डॉट कॉम में संपादक के रूप में काम किया। विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर के संस्थापक सदस्य और संयोजक का दायित्व । वरिष्ठ शिक्षक और लेखक डाॅक्टर एस. एन. तिवारी स्मृति समिति के राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व।

उपलब्धियां –  वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेंद्र माथुर स्मृति रिपोर्टिंग स्पर्धा में पुरस्कार। संस्था मातृभूमि, इंदौर  द्वारा श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिये  सम्मान। हिंद मालवा क्लब द्वारा महा-बजरबट्टू सम्मान। परशुराम महासभा इंदौर द्वारा सम्मान। नेशनल यूथ सोशल अकादमी इंदौर द्वारा उच्च शिक्षा क्षेत्र में श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए सम्मान। पुस्तकालय संघ इंदौर संभाग द्वारा लघुकथा संग्रह प्रथम पुष्प के प्रकाशन पर  सम्मान। साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए  उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद में मिला सेवा रत्न सम्मान। इंदौर प्रेस क्लब और मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा साहित्य मनीषी सम्मान। हाइकु विधा के दूसरे राष्ट्रीय अधिवेशन, आगरा (उप्र) में साहित्य श्री सम्मान। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिंदी गौरव अलंकरण के अवसर पर हिंदी योद्धा सम्मान। बिसौली (बदायूं, उप्र) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मान समारोह में माधवी फाउंडेशन द्वारा माधवी मनीषी सम्मान, केबी हिन्दी न्यास द्वारा हिन्दी आराधक सम्मान।

प्रकाशित पुस्तकें – 

लघुकथा संग्रह  – प्रथम पुष्प,  आम के पत्ते । 

 सहभागिता – राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित लघुकथा  संग्रह  – कारवां, काफिला, क्षितिज, प्रवाह आदि में।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।