मैने उसे जिन्दा रह मरते हुए देखा है

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aarav

बढ़ापे के हालात दर्शाने का एक प्रयास

मैंने उसे रुक-रुक कर चलते हुए देखा है,
उम्र ज्यादा होते हुए भी झुककर चलते देखा है,

लगा जैसे उसे किसी बोझ ने दबा रखा हो,
मैंने उसे हर दो कदमों में ठहरते हुए देखा है,

मन में आँसू छुपा कर उसे दिल से हँसते देखा है,
सबकी चाल समझ कर भी उसमें फँसते देखा है,

सबकी खुशियों का ख़्याल रखते हुए भी,
मैंने उसे दुख-दर्द रोज़ झेलते हुए देखा है,

मजबूरियों के पल हर रोज काटते हुए,
मैंने बुढ़ापे को ज़िन्दा रह मरते हुए देखा है ।।

            #आरव शुक्ला
परिचय : आरव शुक्ला अभी छात्र हैं,पर कविताएँ रचने का शौक रखते हैं। इनका निवास रायपुर के सुन्दर नगर (छत्तीसगढ़) में है। केवल पंद्रह वर्ष के आरव की जिंदगी को लेकर खुली समझ इनके लेखन को प्रदर्शित करती है।

matruadmin

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