तुम तो समझते हमको दुश्मन,हम तो समझें तुमको मीत।
तुम तो पालते हमसे नफरत,हम तो रखते तुमसे प्रीत।।
क्यों नहीं गा सकते हो इसको,किसका है ये गीत।
न तेरा है न मेरा है,ये राष्ट्र का है गीत।।
वन्दे मातरम् यहां का गौरव,फैलाते हम विश्व शान्ति।
लगता तुझको घर्म विरोधी,ये है तेरी व्यर्थ भ्रान्ति।।
वक्त अभी है समझ ले प्यारे,नहीं बहुत पछताएगा।
यदि हम छेड़ देंगे कोई क्रान्ति,झेल नहीं पाएगा।।
नहीं गा सकता है तो, तत्पर छोड़ दे हिन्दुस्तान को।
बहुत हो गया तेरा ड्रामा,कर ले बन्द दुकान को।।
जान भी दे सकते हैं,और जान भी ले सकते हैं हम।
लेकिन नहीं सह सकते हम राष्ट्र के अपनाम को।।
भारत की है शान तिरंगा,तुमने यहां जलाया है।
दुश्मन पाकिस्तान का झंडा कई बार फहराया है।।
राजनीति के गलियारों में जो ख़ामोशी छाई है।
उसी खामोशी के कारण तुमने उपद्रव मचाया है।।
खामोश हैं दल्ले वोटों के,पर हम हैं भारत मां के पूत।
जो सम्मान गिराए मां का, उसको हम मारेंगे जूत।।
हिन्दुस्तान में रहना है तो वन्दे मातरम् कहना है।
नहीं कहेगा उसको, हम नजर आएगे यम के दूत
#सुरेन्द्र सिंह राजावत
परिचय : सुरेन्द्र सिंह राजावत राजस्थान के बयाना में रहते हैं। आप भारतीय सेना में कार्यरत हैं। आपको लिखने का शौक है तथा देशभक्ति पर अधिक कलम चलाते हैं,ताकि सबको देशप्रेम की प्रेरणा मिलती रहे।