अच्छे दिनों वाली कहानी नहीं है बेरोजगारी में आमदानी नहीं है जुमले के सिवा यहाँ मिला क्या है कैसे न कहें कि मनमानी नहीं है विकास तो कागजों में नजर आया सच यही सड़क नहीं तो पानी नहीं है तड़प इतनी भूख से मर रहा कोई सुध नहीं,किसी की मेहरबानी […]

ये प्यादे भी उछलते बहुत हैं आम लोगो को छलते बहुत हैं बना रखा मिजाज गिरगिट सा पल-पल में रंग बदलते बहुत हैं मेहनत से जी चुराने वाले भी ना किसी कामयाब से जलते बहुत हैं कैसे समझाए भला इन मूर्खो को कम दिमाग वाले मचलते बहुत हैं इसलिए तो […]

रातों रात कैसे वो मालामाल हो गए चापलूस है कोई यहां,दलाल हो गए पाल रखे जिसने गुंडों की फौज को गोश्त बटे और मुर्गे भी हलाल हो गए गुनहगार जो रहें गिरफ्त में नहीं उठ रहें फिर से कई सवाल हो गए धक्का मुक्की खींचातानी चल रहीं बातों- बातों में […]

ऐ इंसान जरा इंसानियत रखना आदमी से आदमी की चाहत रखना धर्म जाति के सब भेद मिटाकर भाईचारे से मिलने की आदत रखना जरूरत है यहां पर एकदूसरे की कर भला और हिफाजत रखना गिर ना जाना किसी की नज़रों से नजरें मिलाने की हिमाकत रखना ईश्वर,अल्लाह,गॉड,वाहेगुरू सब एक है […]

समाज का एक आम नागरिक अपने ही जातिवर्ग के सामाजिक-राजनैतिक संगठन की मार झेलने को मजबूर है। जिसका मूल कारण है, समाज के पढ़े-लिखे विद्वानों का मौन रहना ओर दबंगों द्वारा किए जा रहे अत्याचार को जबरिया सहन करना। किसी विद्वान-ज्ञानी ने क्या ख़ूब कहा है -: परिवार और समाज […]

रोते को अब हँसाने की बात करो उजड़े घर को बसाने की बात करो मीनारें जगमगा उठे भरे रोशनी से आशियाने जरा सजाने की बात करो कायम रहे इंसानियत मिला लो दिल जो रूठ गए उसे मनाने की बात करो छोड़ गए गाँव चले गए मीलों जो दूर वापस उन्हें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।