देवतुल्य परिवार मिले

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rajiv kumar
प्राणवंत हो सुप्त भावना,
हो पूरण सब मनोकामना।
वाणी में अमृत घुलता हो,
बांहों का हार मचलता हो।
अग्रज के सम्मुख हम नत हों,
आदर्शों में अध्ययनरत हों।
हो बीजारोपण ममता का,
जहाँ पाठ पढ़े सब समता का।
कर्मठता का मूल्यांकन हो,
हर योग मणि-कांचन हो।
घर-घर में तुलसी सेवा हो,
हर मूर्ति यहाँ सचदेवा हो।
जहाँ वेद ऋचाएं गुंजित हों,
आशीषों से अभिनन्दित हों।
घर प्रगतिशील कल्पना हो,
जीवन में नई अल्पना हो।
मुरली की तान बिखरती हो,
मंदिर घण्टा ध्वनि बजती होl
जीवन का कोना कुसुमित,
रोज यहाँ त्योहार मिले।
संस्कृतियों के संरक्षण हित,
देवतुल्य परिवार मिलेll

सुरभित क्यारी-सी गंध मिले,
उन सुमनों पर मकरन्द मिले।
उन पर भृमरों का गुंजन हो,
कली का अली से अभिनन्दन हो।
जहाँ पक्षी करते हों कलरव,
हो गंध-गंध में हर अवयव।
खुशियां डूबी अभिलाषा हो,
समरसता की परिभाषा हो।
अतिथि भाव में सत्कार मिले,
सबको मुट्ठीभर प्यार मिले।
साधु-संत सेवा में अर्पण,
दीन-दुखी के लिए समर्पण।
स्वार्थ सिद्ध से मुक्त भावना,
प्रभु के प्रति आसक्त कामना।
मयूरा जैसा मन नृत्य करे,
खुशबू में डूबे कृत्य करें।
जहां प्रीत-प्रेम की गागर हो,
वहाँ नेह-स्नेह का सागर हो।
घर-घर में प्रेम गंगा से,
अधरों पर रसधार मिले।
संस्कृतियों के संरक्षण हित,
देवतुल्य परिवार मिलेll

#डॉ.राजीव कुमार पाण्डेय 
परिचय : डॉ.राजीव कुमार पाण्डेय की जन्मतिथि ५ अक्तूबर १९७० और जन्म स्थान ग्राम दरवाह(जिला मैनपुरी,उ.प्र.)हैl आपका वर्तमान निवास गाजियाबाद(उ.प्र.)स्थित सेक्टर २ वेब सिटी में हैl शिक्षा एम.ए.(अंग्रेजी,हिंदी),बी.एड. एवं पी-एच.डी.तथा कार्यक्षेत्र में आप प्रधानाचार्य हैंl सामाजिक क्षेत्र में गाजियाबाद में कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैंl लेखन में आपकी विधा-गीत, ग़ज़ल,मुक्तक,छांदस,कविताएं,समीक्षा,हाइकु,लेख, व्यंग्य, रिपोर्ताज,साक्षात्कार,कहानी और उपन्यास आदि हैl साथ ही ब्लॉग पर भी लिखते हैंl प्रकाशन में आपके नाम पर `आखिरी मुस्कान` (उपन्यास),मन की पाँखें,हाइकु संग्रह,अनेक साझा संग्रह में कविता,हाइकु विश्वकोश,भारत के साहित्यकार प्रमुख विश्वकोश में परिचय आदि शामिल होना हैl डॉ.पांडे की रचनाएं देश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैंl आप एक समाचार पत्रिका में उप-सम्पादक की सेवाएं भी देते हैंl सम्मान के रूप में आपको अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत किया जा चुका हैl आप अपनी उपलब्धि में-मंच संचालन,आयोजक होना और मुख्य अतिथि-विशिष्ट अतिथि सहित निर्णायक के रूप में सहभागिता मानते हैंl ऐसे ही भारत के लोकप्रिय कवियों के साथ काव्य पाठ करना भी इसमें शामिल हैl
यू.के. से प्रकाशित `सुंदरकांड` में आपका सहयोग रहा हैl आपके  लेखन का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियों को हटाना,स्त्री विमर्श करना और देश में सामाजिक सौहार्द्र की स्थापना हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।