मधुशाला

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लॉकडाउन की नगरी में,
रंगीन हुई मधुशाला है।
समझ हमें ना आता कुछ ,
ये कैसा गड़बड़झाला है।

स्कूल कॉलेज बन्द पड़े,
दुकानों में लगा ताला है।
आफत के इस मौसम में,
फलफूल रही मधुशाला है।

कर रहे शराबी बल्ले बल्ले,
ठेकेदारों का बोलबाला है।
खुशी देखकर इन दोनों की,
मुस्करा रही मधुशाला है।

जिनके बीबी और बच्चों को,
मिला ना कबसे निवाला है।
पर नशे की आग बुझाने को,
पीनी इनको मधुशाला है।

लगीं कतारें लम्बी लम्बी,
जैसे अमृत बटने वाला है।
अपने चाहने वालों को,
खुश रखती मधुशाला है।

क्या दिन क्या रात है इसकी,
इसमें पड़े कभी ना ताला है।
हो चाहे भीषण गर्मी ,बरसात,
चाहे पड़े जोर का पाला है।

कानून नियम ताक पर कर,
सरकारों ने गजब कर डाला है।
ना जाने क्यों जिम्मेदारों ने,
मधुशाला को पहनाई माला है?

स्वरचित
सपना (सo अo)
प्राoविo-उजीतीपुर
विoखo-भाग्यनगर
जनपद-औरैया

matruadmin

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