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थल सेना के हम जवान,
दुश्मन से कभी ना डरते हैं
चौकीदार हैं हम भारत के,
सरहद की चौकसी करते हैं।
कड़कड़ाती सर्दी हो या,
हो गर्मी कितनी भीषण।
आँधी आए या आए तूफ़ान,
हम कभी ना छोड़ें अपना रण।
फौलादी सीने को अपने,
भारत माँ की ढाल बनाते हैं।
अपनी भुजाओं के दम पर,
दुश्मन को धूल चटाते हैं
शीश कटे तो कट जाए,
मातम ना कभी मनाते हैं।
भारत माँ की रक्षा को,
हम अपनी जान लुटाते हैं।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद -औरैया
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