Read Time2 Minute, 6 Second
राह हिंसा की तुम अपनाना नहीं
जिंदगी बेकार,प्यार जिसने जाना नहीं
राह अपना लो अहिंसा की यारों
शत्रु किसी को भी बनाना नहीं
जहां चल रहा मोहब्बत से मानो
नफरतों को कभी तुम टिकाना नहीं
गले से सभी को लगा लेना तुम
आँखे किसी को दिखाना नहीं
अपनाया राह अहिंसा का बापू ने
पाठ हिंसा का किसी को पढ़ाना नहीं
मिलकर रहों, प्यार ही प्यार से
आग नफरत की कभी लगाना नहीं
खाक हो जाएंगे अपने ही अपनो से
घर किसी का भी तुम जला ना नहीं
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
Post Views:
471
Wed Nov 14 , 2018
सम्हल कर उड़ तू परिंदे, तेरी उड़ान पर सय्याद बहुत से नजर गड़ाए है। तेरी उड़ान ने ना जाने कब से सय्यादो के होश उड़ाए है। तेरे पिंजरे में बांधने को पर, उन्होंने बहुत जाल बिछाए है। तेरी आजादी से उड़ने से वो सब हैरान बहुत है,तुझे बन्द करने को […]