
तन की खूबसूरती
एक भ्रम है..!
जो इंसान को घमंडी
बना देता है।
मन की खूबसूरती ही
असली सुंदरता है।
जो दिलको शांत और
मनको व्यवहारिक बनता है।
सब से खूबसूरत तो
आपकी “वाणी” है..!
जो चाहे तो दिल जीत ले..
या चाहे तो दिल चीर दे !!
वाणी की मधुरता से
गैर अपने हो जाते है।
और आपकी दिलसे
तरीफ करते है।
इन्सान सब कुछ
कॉपी कर सकता है..!
लेकिन अपनी किस्मत
और नसीब को नही..!
यदि कर्म अच्छे करोगें
तो फल अच्छा मिलेगा।
भले श्रेय मिले न मिले,
पर श्रेष्ठ देना बंद न करें।
आपकी सेवा भक्ति
एकदिन रंग लायेगी।
तब लोगो की जुबा पर
तुम्हारा ही नाम रहेगा।
कुछ आपके आलोचक
तो कुछ प्रसंशक होंगे।
जो समाज में आपको
शांति से नहीं रहने देंगे।
रखेंगे स्वंय अपना ख़याल
तो आपका हरपल शुभ होगा।
आपके कर्मो से ही
मुक्ति का मार्ग प्रसव होगा।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)