पन्ना धर्म* निभाना है

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babulal sharma
सैनिक को, *माँ* की पाती”
””””””””””””””””””””””””””””
.     ( *लावणी छंद*)
🌸🌸
*पुत्र*  तुझे भेजा सीमा पर,
भारत माता   का  दर  है।
पूत लाडले ,गाँठ बाँध सुन,
वतन हिफाजत तुझ पर है।
✍
त्याग हुआ है बहुत देश में,
जितना  सागर में जल  है।
अमर रहे  गणतंत्र   हमारा,
आजादी  महँगा   फल  है।
✍
आतंकी को  गोली,मारो,
इसके ही वो काबिल  है।
दिल्ली को वे तिरछे देखे,
दिल्ली तो अपना दिल है।
✍
काशमीर की केशर क्यारी,
स्वर्गिक मूल  धरोहर    है।
सूर्य पुत्र की  रजधानी  थी,
वह *डल* पुन्य सरोवर है।
✍
काशमीर के  आतंकी  तो,
बन्दूकों  के   काबिल   है।
उनको सीधे स्वर्ग सिधाओ,
स्वर्ग सुखों  से गाफिल  है।
✍
चौकस रहना,सीमाओं पर,
नींद चुरा   कर जगना   है।
खटका हो तो उसके पीछे,
चौकस हो  कर भगना  है।
✍
मेरी तुम जो याद करो तो,
मृदा  वतन  की   छू लेना।
घर परिवारी  याद सँजोने,
कभी पत्र भी  लिख देना।
✍
पीठ दिखानी नही कभी भी,
सीना    ताने      रखना  है।
जबतक तन में श्वाँस,तिरंगा,
हाथों     थामे   रखना   है।
✍
लोकतंत्र की माँ संसद है,
संवादी     देवालय     है।
संविधान प्रभुमूरत सा है,
लोकतंत्र  विद्यालय    है।
✍
“भारत माटी सोना उगले”
बना रहे    अफसाना   है।
विश्वगुरू भारत है जग में,
*सोन  चिड़ी* पैमाना है।
✍
सम्प्रभुता   मेरे भारत की,
सैनिक की….मुस्तैदी  से।
जनगणमन का गान,तिरंगा,
भारत  माँ . बलि वेदी  से।
✍
मैने तुझको भेज दिया है,
भारत माँ ….की सेवा है।
भारत माँ  मेरी भी  माँ है,
माँ  की सेवा.. ..मेवा  है।
✍
बेटा अपना शीश कटाकर,
वतन  बड़ा  कर जाना  है।
पीठ दिखाके बचते,जिन्दा,
नहीं   लौट  कर  आना है।
✍
सीने पर  गोली खा लेना,
मान  तिरंगा   रखना  है।
लिपट तिरंगे में घर आना,
माँ  का दूध न लजना है।
✍
रोउँ नहीं, क्यूँ आँसू टपके,
वीर  मात   कहलाना   है।
अंतिमपथ तक पूत लाड़ले,
तुझको.. तो …पहुँचाना है।
✍
भारत माँ हित गये,पिता भी,
पति  का  भी  परवाना है।
तुझको खोकर   मेरे लाड़ले,
*पन्ना  धर्म     निभाना  है।*
✍
माँ *पन्ना* ने धर्म धरा हित,
सुत चन्दन  कुर्बान  किया।
मैने उस  बलिदान रीत को,
*पन्ना धर्म* सुनाम  दिया ।
✍
मैं भी अपना धर्म निभाऊँ,
प्यारा   वतन   बचाना  है।
करले याद शहीद मात की,
सुत का  धर्म  निभाना  है।
✍
कितनी ही अबला सबलाएँ,
*पन्नाधर्म*  निभाती  है।
उन ललनाओ के संयम पर,
आँखें   अश्रु   बहाती  है।
✍
जीवन है बस बिन्दु सिंधु सम,
मानव  फर्ज  निभाना  है।
तू भी पल में जल मिलजाना,
कर्जा  कोख  चुकाना  है।
✍
सत्ता धारी अफसर , नेता,
मुझे नहीं–कुछ कहना है।
देश,देश की जनता को ही,
सब  खुद ही तो  सहना है।
✍
खुद समझे सम्मान करे,या,
*उत्पीड़न* परिवारो को।
मरे वतन हित,गई पीढ़ियों,
फौजी    पहरे  दारों    को।
✍
मेरा तो पैगाम   तुम्हे बस,
*प्रीत सुरीत* निभानी है।
देश प्रेम की बुझती लौ में,
फिर से *आग* लगानी है।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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