*मुक्तक*

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prafull yadav
1. किस्मत के भरोसे ना बैठ
    सफलता तेरी राह देख रही है
    आज हुनर तो दिखलादे
    उन्नति तेरी कला देख रही है।
2. आज कर दृण निश्चय
   की पत्थर तू पिघलाएगा
   और हिम्मत की कलम से लिख
   यह जमाना तेरा हो जाएगा ।
3. भय भी भयभीत हो जाता है
    जब संगठन में तू आ जाता है
    और एक से भले दो और दो से भले चार
    जब चार चार शेरों का समूह सामने नजर आता है।
4. मैं भारत का सैनिक विजय ध्वज फहराउंगा
    अगर मुझे बदले में कुछ देना भी पड़े
    तो तिरंगे में वापस आऊंगा
    लहराती ध्वजा की लहरों में
    मैं अमर हो जाऊंगा
    तिरंगे में घर आऊंगा , तिरंगे में घर आऊंगा।
5. मैं हूं राही और चलना मेरा काम है
    राह की कठिनाइयों से ना डरो
    यह जिंदगी तो ऊपर वाले का  इनाम  है।
#बालकवी प्रफुल्ल यादव
परिचय: खातेगाँव(मध्यप्रदेश) निवासी प्रफुल्ल यादव नवोदित एवं बालकवि है| 

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