पद पायलें,अनमोल थी
सिय दिव्य-दैव्य प्रमान् की।
हर जानकी दसकंध ने,
बाजी लगा कर जान की।
हा,राम,लक्ष्मण आइए,
लंकेश रावण पातकी।
मानी न लक्ष्मण आन वे,
दोषी बनी निज जानकी।
क्रोधी जटायू तब भिड़ा,
जाने न दे ,माँ जानकी।
सिय मान के,हित जान दे,
चिंता नहीं , की जान की।
पथ में लखे,कपि जूथ थे,
मग देख शैल निशान की।
पटकी.वही..पद पायलें ,
मन सोच वे, तब जानकी।
वन रामलक्ष्मण डोलते,
खोजें फिरे सिय मानकी।
बजती, सुने मन मानसी,
वे दिव्य पायल जानकी।
हनुमत मिले द्विज वेष में,
मनभक्ति,प्रेम प्रमान की।
प्रभु ने कही,सुन ली व्यथा,
वन राम लक्ष्मण जानकी।
आकर मिले, सुग्रीव से,
दुख मीत के,पहचान की।
हरि दर्श दैवी पायलें,
प्रण धारि खोजन जानकी।
प्रभुराम जी,कहि बंधु से,
पायल यही ,क्या जानकी।
लक्ष्मण कहे कर जोरि केे,
भैया, क्षमा मम जान की।
पद पूज्य वे ,पहचान लूँ,
रज पूजता पद जानकी।
पर पायलें, परखूँ नहीं ,
पदरज नमन, माँ जानकी।
जग मात है,माँ जानकी,
रघु वंश के ,सन् मान की।
पद पूज के, आशीष लूँ,
रघुवर प्रिया माँ जानकी।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः