नेता पुत्र-पुत्रियों की व्यथा

0 0
Read Time5 Minute, 50 Second

hemendra

       राजनीति की डगर बहुत कठिन मानी जाती है लेकिन इस पर चलने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। भागदौड़ में राजनेताओं के पुत्र पुत्रियां भी पीछे नहीं है, अच्छी खासी तादात में इनका दखल राजनीति में बढ़ता ही जा रहा है । बावजूद  यहां मामला कुछ उल्टा ही पड़ा दिखता है। जहां अन्य क्षेत्रों में वारिसों को अपने परवरिश के आधार पर खानदानी पेशा अपनाने पर कोई नानूकर नहीं होती। जिस पर हर कोई फक्र की बात कहकर हौसला अफजाई करते है। करना भी जरूरी है क्योंकि पंरपंरागत पेशे को बचाए रखना आज की जरूरत है। गौरतलब रहे व्यवसाय व राजनैतिक सेवाओं में अंतर तो है परन्तु मंशा एक ही देश की उन्नति, विकास और जनकल्याण। बतौर व्यापार में योग्यता और कार्य के मायने अनुभव के सामने बदल जाते है। वहां राजनीतिक क्षेत्र में नेता पुत्र पुत्रियों की दखल अंदाजी पर परिवारवाद का रोना रोकर तथाकथितों के सीने में सांप क्यों लोटने लगते है। ये कहते हुए कि अब राजनीति का अनर्थ हो जाएगा । यह राजनीतिक बरसाती वंश राजनीति को तहस-नहश कर देगा। उनकी यह बात तब अच्छी लगती है जब आसमान से खानदानी बरसात हो या सियासत, विरासत बनने लगे तब।

       हां! ऐसा हो तो राजनीतिक तिलक पर जरूर हांहांकार मचाना चाहिए क्योंकि राजनीति किसी की बपौती नहीं है जो वसीयत में लिख दी की मेरे बाद मेरी संतान राजपाट का सुल्तान बनेगी । यह तो लोकतंत्र है यहां जो लोगों की सच्चे मन से सेवा करेगा और पार्टी के हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा रहेंगा । ऐसे  नेता पुत्र पुत्र राजनीतिक उत्तराधिकारी कहलाने के सच्चे हकदार होगें। इसलिए राजनीति में जो अर्पण समर्पण और तर्पण की भावना से काम करेगा वही जनता का असली नुमाइंदा कहलाएंगा। लिहाजा जुड़े हुए राजनेताओं के पुत्र पुत्रियों की चिंता और व्यथा जायज है कि हम आज राजनीतिक के मैदान में एक निष्ठावान और कर्म योगी कार्यकर्ता की भांति अपनी भूमिका निभाते आ रहे हैं। फिर क्यों परिवारवाद की बेदी पर हमें चढाकर कहां जाता है कि तुम नेता पुत्र पुत्री ने हमारा हक छीना है। मालूम है राजनीति में परोसी हुई थाली नहीं मिलती, कमानी पड़ती है चाहे वह कोई भी हो सबका तरीका जुदा होता है। आखिर ! हमसे ऐसे अनगिनत जवाब-तलब किए जाते रहते।

         अलबत्ता, अपनी प्रतिभा से कलेक्टर का बेटा कलेक्टर, डॉक्टर की बेटी डॉक्टर, उद्योगपति का बेटा उद्योगपति और हीरो की बेटी हीरोइन बन सकती है तो ऐसी ही योग्यतावानों से लोकशाही क्यों अछूती रहे। बहरहाल, खुशखबर है कि अब होनहार और ऊर्जावान लोग राजनीति में कदम रख रहे हैं । उनमें अगर नेता पुत्र पुत्रियों की अगवानी बढ़ती है तो किस बात का गुरेज। इस पर हमें गर्व होना चाहिए कि दूसरे क्षेत्र में भविष्य संवारने की बजाय राजनीति को अपना रहे है। सरोकार हमें बड़े मन से इनका सत्कार करना चाहिए। यदि ये दूसरे क्षेत्र में काम करते तो वह कहीं ना कहीं ऊंचे मुकाम को हासिल किए होते। ऐसे मौके बार-बार नहीं दिखाई पड़ते जहां संतान अपने माता पिता के पद चिन्हों पर भोग विलासता से विभूषित शानो-शौकत की जिंदगी को त्याग कर राजनीति की कांटो भरी राहों में चलते है खासकर पुत्रियां । वह भी तब, जब देश का नौजवान राजनीति से तौबा करने की बात करता है।

        यथेष्ठ, आम कार्यकर्ताओं के तौर पर काम करने वाले नेता पुत्र पुत्रियों की उस व्यथा से पार पाना होगा कि राजनीति में इनका आगमन केवल वंशजों की वजह  से होता है नाकि अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर। इस मिथक को तोड़ना ही राजनीति के लिए लाभदायक होगा। याने वंशवाद नहीं अपितु काबिलियत नेतृत्व का मूलाधार बनें। बेहतर, हमारे देश में अनेकों ऐसे उदाहरण है जहां इन युवाओं ने लोकतंत्र और देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है । इसलिए योग्यों को दुलार और अयोग्यों को धुत्कार ही वक्त की नजाकत है। स्तुत्य स्वच्छंदता, जन कल्याण और विकास की नई इबारत राजनीति के माध्यम से देश का अधिष्ठान करेगी।

#हेमेन्द्र क्षीरसागर

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अंग्रेजी: खट्टर ने खूंटी पर टांगी

Tue Jan 8 , 2019
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने अपने प्रदेश में एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसका अनुकरण देश के सभी हिंदी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को करना चाहिए। उन्होंने आदेश जारी किया है कि हरियाणा का सरकारी कामकाज अब हिंदी में होगा। जो भी अफसर या कर्मचारी अब अंग्रेजी में कोई […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।