वे
वे अमीर हैं,
रहने दो उन्हें अमीर
करदो कैद उन्हें
उनकी अमीरी के साथ।
मत घूमो उनके चारों ओर
उनकी पानी,कोक,बीयर, व्हिस्की
की पुकार को गूंजने दो।
अमीरी के महल में,
पड़ी रहने दो खाली बोतलें, गंदे चादर,
झूठी प्लेंटे,घूरा बनी डाइनिंग,
जमीन पर सफेद और लाल दाग
बने रहने दो यूं ही।
अमीर हैं वो जिएं अपनी अमीरी के
लक्षणों के साथ..
वेटर/ शेफ/ नौकर/ मैंनेजर/ वार्ड बाय/वाई/
इस भीड़ से कर दो उन्हें मुक्त।
हम सब गरीब हैं,
एक दूसरे का कर सकते हैं काम..
दें सकते हैं साथ
हम जिएं सामूहिक गरीबी
वे जिएं
एकांत अमीरी।।
#संजीव जैन