
देश हमारा भी है देश उनका भी है ,
फिर कर्तव्यों में इतना भेदभाव क्यों ?
हम सुबह शाम चंदन महकाएँ
वे यहाँ वहाँ कूड़े फैलाएँ I
हम खेतों में अन्न उगाएँ
और वे जमाखोरी का रास रचाएँ I
हम कोरोना योद्धा बन संघर्ष करें,
वे यहाँ वहाँ थूकते जाएँ I
हम संस्कृति का पाठ पढ़ाएँ,
वे वाहिय़ात दृश्य दिखाएँ I
हम कैंसर का इलाज़ करें,
वे शराब के ठेके लगवाएँ I
हम विश्वविद्यालयों की नींव सजाएँ,
वे फर्जीवाड़ा चलावाएँ I
हम समय पर ” कर ” अदा करें,
और वे ऊधार ले लेकर चंपत हो जाएँ I
हद तो तब होती है जनाब़
सैनिक सरहदों पर गोलियाँ खाएँ,
और वे देश में हिंसा फैलाएँ I
कोई संशय नहीं कि मामला तो स्वविवेक का है।
अंतर कर्तव्य से ज्यादा संस्कार का है।।
रिमझिम झा
कटक, ओडिसा
परिचय- आप ओड़िसा राज्य के कटक शहर में बतौर हिन्दी शिक्षिका है।