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ईद उन्हें मुबारक हो,
होली इन्हें मुबारक हो।
मेरे लिए दो रोटी का,
कोई तो जुगाड़क हो॥
दंगा उन्हें मुबारक हो,
नंगा इन्हें मुबारक हो।
गरीबों की दुनिया में कोई,
गरीबी का उबारक हो॥
मंदिर उन्हें मुबारक हो,
मस्जिद इन्हें मुबारक हो।
भूखे का भगवान भोजन,
तुम मेरा नहीं पालक हो ?
सेकुलरिज्म उन्हें मुबारक ,
राष्ट्रीयता इन्हें मुबारक हो।
दोनों चाकी में पिसे जनता,
कट्टरता इनका मारक हो॥
उन्हें रंग लाल मुबारक हो,
इन्हें रंग हरा मुबारक हो।
गिरगिट का रंग दोनों में,
कौन समाज सुधारक हो ?
देश समाज निज जाति का,
दोनों के दोनों बाधक हो।
वोट बैंक के दोनों सौदागर,
सत्ता सुख के साधक हो॥
गला रेतना तुम्हें मुबारक,
अधमरा इन्हें मुबारक हो।
दोनों के बच्चे हैं भूखे,
तुम पाप दोजख शावक हो॥
दंगे में दोनों आताताई ,
किस ईश-खुदा-उपासक हो ?
दोनों देश-समाज के दुश्मन,
भाईचारे का नाशक हो ?
छोड़ो दोनों राम-खुदा को,
राम- खुदा सा बनाना सीखो।
अबला दुबला दीन दुखी को,
भवन भोजन पट देना सीखो॥
प्यासे को पानी पिलाना,
कसम खुदा की इबादत है।
भूखे को भोजन खिलाना,
ईश्वर का पूजा सत है॥
मंदिर ना मस्जिद-चर्च मेंं,
ना ईश्वर गुरुद्वारा में।
दीन बन्धु के रोम रोम में,
खुदा कण-कण तारा में॥
#रामभवन प्रसाद चौरसिया
परिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए बड़ा सम्मान मानते हैं।
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