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कदम से कदम मिलते चलो।
देश के पर्यावरण को बचाते चलो।
राह में जो भी मिले लोग।
उन्हें पर्यावरण के बारे में बताते चलो।
कदम से कदम……..।।
अभी न बचाओगे, पर्यवरण को तो।
बहुत देर फिर हो जाएगी।
दिल से वृक्षारोपण करने का,
जज्बा तुम जगाओ।
इससे ही हरयाली आएगी,
वातावरण हो जाएगा ठंडा।
कदम से कदम मिलते चलो..…..।।
जो भी करे भारत माँ से प्यार।
उसे वृक्षारोपण खुद और लोगो को लगाने हेतु प्रेरीत करना ।
इस संदेह को सबके दिलों में बैठते चलो ।
देश का पर्यावरण…….।।
जैसे घर के बच्चों को पालो,
इसको भी साथ में पालो।
ये वो फल है,
जो आगे चल कर देंगे, तुम्हारे बच्चो को बहुत ठंडक।
इसलिए संजय कहता तुम सब से, इसको दिल से अपनाते चलो।
देश के पर्यावरण को ….।।
कदम से कदम मिलाकर ….।।
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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