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(आज मातृ दिवस के अवसर पर विशेष )
माँ का हृदय रत्नाकर-सा,
माँ तारापथ समान है।
माँ की जान बसे बच्चों में,
माँ बच्चों की जान है।।
माँ खुशियाँ संग मनाती है।
माँ मिश्री-सी,लोरी सुनाती है।।
माँ गलती पर बच्चों को डाँटती है।
माँ अपना दुःख न बाँटती है।।
माँ की ममता सिंधु-सी विशाल है।
माँ बच्चों की रक्षक,भाल है।
बच्चों पर जो छाए संकट,
माँ कालिका बन जाती है।
जैसे निज शिशु की रक्षा हेतु,
हिरनी;सिंह से लड़ जाती है।।
#नवीन कुमार जैन
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हार्दिक आभार आदरणीय, मेरी रचना को वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए ।