कानपुर कांड

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जब थाने ही कानपुर में बिक जायेगे,
फिर कैसे अपराधी पकड़े जाएंगे।
जब पूछे जाएंगे ये प्रश्न प्रसाधन से
तब प्रशासक भी मूक हो जाएंगे।।

जब थाने में मर्डर हो जाता है,
सारा थाना मूक हो जाता है।
फिर कैसे मिलेगी सजा अपराधी को,
न्यायधीश भी कुछ नहीं कर पाता है।।

जब पुलिस ही मुखबिर बन जाती है,
खबर अपराधी तक पहुंच जाती है।
फिर क्यो न होगा पुलिस का मर्डर
ये बात सभी को समझ आती है।।

जब चोर उल्टा पुलिस को डाट रहा,
अपराधी पुलिस को थाने में डाट रहा।
फिर कैसे होगा अपराधों पर नियंत्रण,
यह प्रश्न अब उभर कर आ रहा।।

जब आठ पुलिस कर्मियों का मर्डर होता है,
सारा गांव देखकर भी चुप रहता है।
फिर कैसे पकड़े जाएंगे अपराधी
यह प्रश्न उभर कर अब मस्तिष्क में आता है।।

जब अपराधी को सरक्षण मिलता हो,
जब अपराध सरे आम बिकता हो।
फिर कैसे कम होगे अपराध देश मै,
ये प्रश्न आज देश सरकार से पूछता है।।

अगर अपराध कम करना है इस देश मै,
थानों का बिकना बन्द हो इस देश में।
कोई अपराधी न जाए देश की संसद में
उन्हें कोई संरक्षण न मिले इस देश में।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

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