अपना देश
अपना वेश
फिर क्यूं अपनाएं हम विदेशी,
अपना वतन,अपना स्वदेशी।
विदेशी वस्तुओं का करे बहिष्कार,
मिलकर स्वदेशी सामान करें स्वीकार।
चीन को उसकी औकात बताए,
स्वदेशी अपनाकर शान दिखाएं।
चीनी बाजारों को भंग करे,
अपना वतन आबाद करें।
नहीं चाहिए गुड्डे गुड़ियों का साया,
बनता जो विदेशी सामान से सजा सजाया।
फिर से भारत को विश्व गुरु बनाए,
हम सब मिलकर स्वदेशी अपनाए।
लघु कुटीर उद्योगों को बढ़ाए,
आत्म निर्भर भारत हम बनाए।
सूई से लेकर बड़ी चीज,
सब हो भारत की अजीज।
आओ लेले हम सब संकल्प,
नहीं रखेंगे स्वदेशी का और कोई विकल्प।
रेखा पारंगी
बिसलपुर (राजस्थान)
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