भारतीय भाषा में विज्ञान लेखन: दशा और दिशा

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विषय पर पर वेबीनार आयोजित।

विज्ञान प्रचार-प्रसार, वैश्विक हिंदी सम्मेलन, हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी में वैज्ञानिक लेखन पर एक वैश्विक वेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार में विज्ञान के जाने-माने हस्ताक्षर श्री देवेंद्र मेवाड़ी जी ने विज्ञान को लेकर जो कुछ कहा उस में बहुत सी बातें सभी के लिए एकदम नई थीं।
उनका यह कहना था कि जिस प्रकार एक वैज्ञानिक, वैज्ञानिक होते हुए भी ललित साहित्य लिख सकता है ठीक उसी प्रकार कोई साहित्यकार चिंतक लेखक तर्कशील बुद्धि पर तथ्यों का प्रयोग करते हुए विज्ञान लेखन कर सकता है।
उन्होंने देश के कई बड़ी साहित्यकारों की द्वारा विज्ञान लेखन की जानकारी भी दी‌।
इसी प्रकार इस वेबीनार में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञान लेखन में सक्रिय प्रमोद भार्गवजी, वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि वे वैज्ञानिक नहीं है लेकिन विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर उनके लिए देशभर के विभिन्न समाचार पत्रों में निरंतर प्रकाशित होते हैं और उन्होंने ऐसे विषयों पर पुस्तकें भी लिखी है।
सोशल मीडिया पर विज्ञान प्रचार प्रसार के अंतर्गत विविध सामग्री प्रस्तुत कर रहे *श्री राहुल खटे जी द्वारा इस वेबीनार के आयोजन में प्रमुख भूमिका रही। इस आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों के अनेक महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे।
डॉ एम एल गुप्ता’आदित्य’ ने बताया कि वैश्विक हिंदी सम्मेलन के माध्यम से किस प्रकार वैज्ञानिक साहित्य की जानकारी विद्यार्थियों और विश्वविद्यालयों तक पहुंचाई जा सकती है।हिंदुस्थानी भाषा अकादमी अध्यक्ष के श्री सुधाकर पाठक ने उनकी संस्था के माध्यम से हिंदी के शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए किए जा रहे देशव्यापी प्रयासों की जानकारी दी, साथ ही संस्था के माध्यम से गठित भारतीय भाषाओं के संगठन ‘शिक्षक प्रकोष्ठ’ के विषय में भी बताया, जिसमें लगभग 600 शिक्षक जुड़े हुए हैं । उन्होंने जानकारी दी कि अकादमी एक त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ का नियमित प्रकाशित कर रही है जिसका प्रत्येक अंक किसी एक भारतीय भाषा का विशेषांक होता है। पत्रिका में हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के लेख प्रकाशित होते है।
अपनी तरह के इस विशिष्ट आयोजन को देश भर से महत्वपूर्ण प्रतिसाद मिला।aa

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।