
तुम ही से प्यार करता हूँ,
तुम ही पर जान देता हूँ।
दिलकी हर धड़कन को,
मैं पहचान लेता हूँ।
तभी तो लोग,
तेरी मेरी दोस्ती को।
दिलसे आशीर्वाद और,
दुआएं हमें देते है।।
तुम्हारे और हमारे,
प्यार के किस्से।
लोगो की जुबा पर,
हर समय अब रहते है।
जो मोहब्बत की कहानी को,
हर पल हर समय कहते है।
की कैसे दोनों की मोहब्बत,
उस समय परवान चढ़ी थी।।
मोहब्बत में दिलों का,
मिलना बहुत जरूरत हैं।
बिना दिलोंकी धड़कन के,
मोहब्बत हो नहीं सकती।
इसलिए मोहब्बत करना,
बच्चो का खेल नहीं।
इसकी हर एक डगर,
बहुत कंटीली होती है।
जो इस पर चल पाते है,
वही अपनी मोहब्बत को,
अमर कर जाते है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)