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अपने ही घर में सेना से,पत्थर वाले ऐंठे हैं।
सुकमा में नक्सली जवानों की लाशों पे बैठे हैं।
जाने किस नशे में खो गए,ये नेता गद्दी वाले।
प्रवक्ता इस तरह बनते हैं,जैसे हों रद्दी वाले।
सुकमा में शहीद हुए जो,किसी बहन के भाई थे।
अपने ही मात-पिता की वो,ज़िन्दगी की कमाई थे।
जिस छप्पन इंची सीने से,बड़े- बड़े घबराते हैं।
फिर भी क्यूँ हमारे सैनिक,घर में थप्पड़ खाते हैं।
जज्बा है सब करने का,करता-कहता वो मोदी।
पर्वत की चट्टानों से ही, झरना बहता वो मोदी।
शीश झुका दिनेश नमन करे,उन सैनिक मतवालों को।
मातृभूमि पर मिटने वाले,भारत के रखवालों को।
#दिनेश कुमार प्रजापत
परिचय : दिनेश कुमार प्रजापत, दौसा जिले(राजस्थान)के सिकन्दरा में रहते हैं।१९९५ में आपका जन्म हुआ है और बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है।अध्यापक का कार्य करते हुए समाज में मंच संचालन भी करते हैं।कविताएं रचना,हास्य लिखना और समाजसेवा करने में आपकी विशेष रुचि है। आप कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।
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Achhi rachna