किस्सा वो प्यार का ।

0 0
Read Time2 Minute, 17 Second

अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का
कोई यार दूसरा हुआ अब मेरे यार का
चलती थी जो बिखेरते राहों में खुशबुएं
कोई पता बता दे मेरे उस बहार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

बस्ता लिये जो घर से पढ़ाई को निकलते
हो दोस्तों से दूर उनके पीछे थे चलते
वो सिर मुड़ा के देखना और मुस्कुरा देना
जैसे हो कुमुदनी कोई भौरों’ पे मचलते
लोगों से सुना ये निशान-ए-इजहार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

कुछ अन्तराल मिलता जो स्कूल में हमें
नजरे हटा किताब से थे देखते उन्हें
नजरें घुमा के करते थे हम दूसरी तरफ
नैनो से बात करते न कोई देख ले हमें
अनुभूति बेहतरीन था उस नैन – चार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

जिस दिन भी वो स्कूल में पढ़ने नहीं आती
उस दिन तो याद उसकी मेरे दिल से न जाती
कापी कलम किताब चाहे ब्लैकबोर्ड हो
कोई न ऐसी जगह, नजर वो नही आती
कैसे बताता हाल दिले बेकरार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

कुछ भी पता चला नहीं कि कब बड़े हुए
कितने ही बरस बीते है हमको लड़े हुए
लड़ने लगे हैं बच्चे करते प्यार भी है वो
उसकी तो शादी हो गई हम है पड़े हुए
बच्चा सयाना हो गया अब मेरे यार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

कब बीत जाता बचपन बीत जाती जवानी
सोचूं जो वक्त मन में तो होती है हैरानी
अब सोचने पछताने से कुछ भी नहीं होगा
उसे झेलना पड़ेगा किया जो भी मनमानी
‘एहसास’ हो रहा है समय के प्रहार का
अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।।

  • अजय एहसास
    अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

matruadmin

Next Post

किसी पर तो आएगा

Mon Jun 15 , 2020
न दिल की प्यास, मेरी बुझती है। न दिल को, चैन मिलता है। पर न जाने, क्यों तुम्हारी यादे। इस दिल से, जाती नही है।। कदम कदम पर, तुम याद आते हो। दिलकी गैहराइयो में, क्यो समाये हो। क्या रिश्ता है, तेरा और मेरा। एक बार सामाने, आके बताओ तो […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।