समय …

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vandana shreevastav
शहर के नामी
अस्पताल के,
वीआईपी कमरे
के बेड पर,
अनेक आधुनिक
मशीनों  से,
घिरा मैं घड़ी  की
सुईयों  को,
ताकता हुआ
गिन  रहा  हूँ,
अपने  जीवन  के
अंतिम  पल,
टिक-टिक  की  आवाज…
साफ  गूँज  रही  है,
मेरे  कानों  में
डाक्टर-नर्स  भी,
दवा  देकर
थककर जा चुके हैं मुझे,
शायद दवाईयों  की परिधि
पार  कर  चुका  है,
मेरा  जीवन…।
चिकित्सीय विज्ञान भी,
बेबस असहाय हाथ जोड़े
सब कुछ परमात्मा को थमा,
खड़ा है एक कोने  में
शून्य  हो रहा है मेरा शरीर,
सुईयों  की  चुभन  का
एहसास भी नहीं कर पा रहा मैं,
चाह  कर  भी  नहीं
हिला पा रहा अपने पैर,
आँखें  धुंधला  रहीं  हैं
यूँ  लग रहा  है…
स्वयं में ही खोता,
जा रहा हूँ मैं
लग रहा है कि,
समाप्त होता
जा रहा हूँ मैं।
जीवन  के  इन,
अंतिम  पलों  में
मेरी आँखें ढूढ रहीं हैं,
हर  उस  अपने  को
जो पास बैठ,
मेरा हाथ थाम,
कर  सके  कुछ  बातें
दे  सके  मुझे  सांत्वना,
सहला सके मेरा माथा…
जिनकी आँखों से छलकते,
आँसू  में दिख  सके
मुझे  वो  प्यार,
जो  जीवन के
हरदर्द  सहने  की,
मुझे  शक्ति  दे  सके
हाँ, उन्हीं अपनों  को,
तलाश रही हैं मेरी आँखें…
जिनके  लिए  मेरे पास,
सम्पूर्ण  जीवन
समय ही  न था..
समय ही  न था…
समय ही न  था….॥
                                                                          #वन्दना श्रीवास्तव

परिचय : वन्दना श्रीवास्तव का उपनाम -वान्या है। उत्तर प्रदेश राज्य के जिला लखनऊ की डिलाइट होम कालोनी में आपका निवास है।जन्मतिथि २७ जुलाई १९८१ है। लिखना आपकी पसंद का कार्य है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।