जीवन की सांझ हो चली

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mitra
जीवन की सांझ हो चली है,वह भी जानती है वह अब जाने को है।
समेट रही है अपनी ज़िम्मेदारियां आहिस्ता-आहिस्ता..और
बांट रही है जो है बचा-कुचा।
रोज़ गूँथती है घर-संसार अपने बेटे का,पता नहीं, कौन-सी शाम जीवन का सूरज ढल जाए..।
कभी अलमारियों के कपड़े सहेजती है,कभी रसोई की सफाई करती है तो कभी भविष्य में उसकी तकलीफों को कम करने के उपाय सोचती है,और खुद को बहुत असहाय पाती है। रोज़ बेटियों को फोन भी करती है,त्योहारों पर आशीष भी देती है,क्योंकि वह जानती है कि जीवन की सांझ हो चली है…।
आंसूओं को छुपाती है,जीवटता दिखाती है,पोती को पढ़ाती है,स्कूल के लिए तैयार कराती है,उसके आने का इन्तज़ार करती है,फ़िर गरम भात परसती है। सब कुछ करती है,क्योंकि वह जानती है कि,जीवन की सांझ हो चली है…।
छोटी-छोटी गुजारिशें करती है,कुछ अटके कामों को करवाने की सिफारिशें करती है…सबको खुश रखने की कोशिश करती है..जानती हूँ अच्छे से,वो अकेले में हाथ जोड़कर भगवान के आगे खुद को अब बुला लेने की मिन्नतें करती है,क्योंकि वह अब जानती है,
जीवन की सांझ होने को है…जीवन की सांझ होने को है।

                                                                                   #लिली मित्रा

परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं। 

 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।