Read Time50 Second

नहीं चाहिए उपहार बस एक दिन का
नहीं चाहिए मान बस एक दिवस
नहीं चाहिए शुभकामना बस एक दिवस
देना है तो दो
हमें मान सम्मान
समझ ईश्वर् की सृष्टि हर दिवस ।।
मत रौँधो समझ धूल पैरों तले अपने
मत करो प्रताड़ित दे पीड़ा
चाहे हो मानसिक या शारीरिक
मत समझो खिलौना भर
तन मन बहलाने को ।।
देना है तो दो
मान सम्मान पूरा हर दिवस
हूँ जननी, बेटी, बहू ,पत्नी,बहन
यूँ हर रिश्ते की हूँ संवाहिनी
मैं नारी सृष्टि की देन
हूँ अनमोल
बस समझ सको तो समझो मोल
बस मोल मेरा हर दिवस ।।
मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा
Post Views:
546