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जब से मिली है नजरे तुम से।
दिल मे कुछ तो होने लगा है।
था पहले कठोर और नीरस ।
अब वो मचलने और पिघलने लगा है।।
अब क्या मेरे साथ हो रहा है।
मुझे नही है कुछ भी खबर।
दिल जो था मेरा नीरस सा,
अब रसो से भरने लगा है।।
प्रीत प्यार स्नेह मोहब्बत के बूलबूले।
अब दिल मे उमड़ रहे है।
जो था कभी खाली खाली सा,
इन प्यारे शब्दों के लिए,
अब ये दिल मचल रहा है।।
तेरे प्यार की छाया में सोना है।
तेरे दिल में अपने को खोना है।
बस एक दरकार है तुम से।
जब भी दिल मिलना चाहें तो ,
इसे दिल से मिलने देना।।
यही अरमान है मेरे दिल का।
अब मना मत करना,
अब मना मत करना ।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Sat May 4 , 2019
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