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किया नहीं जीवन भर कोई काम।
सोता रहा सुबह हो या शाम।
न कि कभी भी किसी की चिंता।
इसलिए कहलाये आलसी राम।।
किये थे पूर्व जन्म में,
अच्छे कर्म।
तो मिल गया बड़े घर में जन्म।
इसलिए नही करते कोई कामधाम।
फिर भी किये जा रहे है,
बापदादा की कामाई पर यश।।
कुछ भी नही है पता,
कैसे कमाया पूर्वजो ने पैसा।
तभी तो बिना सोचे,
समझे लुटाये जा रहे है।
और अपनी न समझी को दिखा रहे है।
और अपने को शहजादा
कहलवा रहे हो।।
घर मे कहाँ से आ रहा पैसा,
जिस पर यश कर रहे हो।
अपनी नाकामियों को दिखा रहे हो।
और अपने बाप दादाओ की,
संपत्ति लूटा रहे हो।
और झूठी शान सौकत में जीये जा रहे हो।।
समय के साथ इतिहास भी,
जीवन की तरह बदलता है।
राजा को रंग और फ़क़ीर को,
करोड़पति बना देता है।
ये सब अपने अपने नसीब और,
अच्छे कर्मों से होता है।
तभी तो लोग ईश्वर में आस्था,
इस कलयुग में भी रखते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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