मेरी भाषा

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मेरी भाषा सन्नाटा बनी
तब भी हम चुप रहे।
अंग्रेजी की छाया में छिपी
तब भी हम चुप रहे।

यह सन्नाटा धमाकों
के साथ प्रवेश कर गया।
भाषा लुप्त सी होती ,
दिखी ,तो भी हम चुप रहे।

धीरे धीरे अपनी भाषा
धूमिल सी होने लगी,
नजरिया बदलने लगा।
तब भी हम चुप रहे।

अंग्रेजी की इमारत में
नींव का पत्थर बनी ।
मिट्टी में शामिल होने लगी
तब भी हम चुप रहे।

संस्कारों की नींव ,
डगमगाने लगी,
नैतिकता और संस्कृति जब
हिलने लगी।तब भी हम चुप रहे

देखते ही देखते
मन में बसकर
युवाओं को मदहोश ,
कर गई।तब भी हम चुप रहे।

जागो युवा!जागो युवा!
गर्व अपनी भाषा पर करो
गुमान अपनी ,
संस्कृति पर करो।

मनीषा व्यास, इंदौर

परिचय:

मनीषा व्यास
शिक्षा एम ए हिंदी , एम फिल हिंदी बी एड
बीस वर्षों से सी बी एस ई विद्यालयों में अध्यापन
कार्य । डॉ सतीश दुबे जी
की लघुकथाऔर लघुकथा के विकास में मालवा के लघुकथा कारो का योगदान विषय पर शोध प्रबन्ध।रस रहस्य , काव्य में बिम्ब विषय पर शोध पत्र ,पत्र पत्रिकाओं अखबारों में लेख ,लघुकथा , कविताएं।लेखिका संघ द्वारा प्रकाशित पुस्तक सिलवटें में लघुकथाएं
प्रकाशित।मै रहूं न रहूं भारत ये रहना चाहिए।काव्य संग्रह में तिरंगा हमारी मिट्टी की शान विषय पर कविता ।काव्य कुंज साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित आलेख मिट्टी की सौंधी खुशबू बरकरार रहे ।
प्रदेश वार्ता अख़बार में कविताएं प्रकाशित स्मेश पत्रिका में प्रकाशित आलेख और कविताएं ।हिंदी रक्षक मंच द्वारा
महादेवी वर्मा स्मृति कवयित्री सम्मेलन में प्राप्त सम्मान ।दबंग दुनिया के द्वारा एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित। कार्यक्रमों का संचालन।

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जारीकर्ता विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिंदू परिषद Post Views: 375

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।