जैसे किसी गन्ने को चरखी में से चार बार गुजारने के बाद उसकी हालत होती है, या किसी भी पतरे की अलमारी को गोदरेज की अलमारी कहने की तर्ज पर पानी की हर बोतल को बिसलरी कहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा पूरी बोतल गटकने के बाद उसे मरोड़ मरोड़ कर […]

एक कहावत है – “ख़त का मजमून भाँप लेते हैं लिफाफा देखकर।” हैं साहब ऐसे लोग, जो ऐसा कर सकते हैं, लेकिन बहुत कम। हो सकता है आने वाले समय में यह कहावत अप्रासंगिक हो जाए और लिफाफा देखकर मजमून भाँपने वाले कोई न बचे…क्योंकि वर्तमान पीढ़ी न तो कागजों […]

इक छोटा सा वायरस,दहशत में संसार। कोरोना ने रोक दी,जीवन की रफ्तार।। साफ-सफाई स्वच्छता,साबुन का उपयोग। कोरोना की श्रृंखला,तोड़ेंगे हम लोग।। धर्म,जाति,मज़हब नहीं,ऊँच,नीच ना रंग। कोरोना का वायरस,करे सभी को तंग।। क्यों दें हम परिवार को,जीवन भर की टीस। दृढ़ता पूर्वक काट लें,घर में दिन इक्कीस।। रखें दूरियाँ जिस्म से,दिल […]

मेरी भाषा सन्नाटा बनी तब भी हम चुप रहे। अंग्रेजी की छाया में छिपी तब भी हम चुप रहे। यह सन्नाटा धमाकों के साथ प्रवेश कर गया। भाषा लुप्त सी होती , दिखी ,तो भी हम चुप रहे। धीरे धीरे अपनी भाषा धूमिल सी होने लगी, नजरिया बदलने लगा। तब […]

वो प्रसिद्ध फिल्मी हीरोईन थी। अब उम्र हो चली और फिल्में मिलनी बंद होने लगी तो एक बड़ी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गयी और टिकट भी हासिल कर लिया। बड़े नेताओं ने समझा दिया था-‘ तुम अपनी छवि वैसी ही रखना जैसी फिल्मों के किरदार में थी,बच्चों से बेहद […]

सोफे पर अधलेटा होकर सोहनलाल द्विवेदी जी की यह पंक्तियां गुनगुना रहा था- आया वसंत आया वसंत छाई जग में शोभा अनंत सरसों खेतों में उठी फूल बौरें आमों में उठी झूल बेलों में फूले नये फूले पल में पतझड़ का हुआ अंत आया वसंत आया वसंत। मेरी यह गुनगुनाहट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।