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श्वांस सब रवाँ-रवाँ,
मौसमों की डोलियों में
खुशबुएं रमा-रमा,
कहार-सा श्रावण चला।
घुमड़ रहीं हैं बदलियाँ,
अठखेलियाँ जवाँ-जवाँ
शबाब पर हैं बिजलियाँ,
कड़क रहीं यहाँ-वहाँ।
ये श्वेत अश्व मेघ के,
घटा के रथ को खींचते
छलका रहे हैं व्योम से,
अमृत कलश जहाँ-तहाँ।
उठता रहा समुद्र से,
टकरा रहा पहाड़ से
मौजों-सा कूद फाँदता,
झूमता कहाँ-कहाँ।
ज़िन्दगी धुआँ-धुआँ,
श्वास सब रवाँ-रवाँ
मौसमों की डोलियों में
खुशबुएं रमा-रमा,
कहार-सा श्रावण चला…॥
#प्रियंका बाजपेयी
परिचय : बतौर लेखक श्रीमती प्रियंका बाजपेयी साहित्य जगत में काफी समय से सक्रिय हैं। वाराणसी (उ.प्र.) में 1974 में जन्मी हैं और आप इंदौर में ही निवासरत हैं। इंजीनियर की शिक्षा हासिल करके आप पारिवारिक कपड़ों के व्यापार (इंदौर ) में सहयोगी होने के साथ ही लेखन क्षेत्र में लयबद्ध और वर्ण पिरामिड कविताओं के जानी जाती हैं। हाइकू कविताएं, छंदबद्ध कविताएं,छंद मुक्त कविताएं लिखने के साथ ही कुछ लघु कहानियां एवं नाट्य रूपांतरण भी आपके नाम हैं। साहित्यिक पत्रिका एवं ब्लॉग में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं तो, संकलन ‘यादों का मानसरोवर’ एवं हाइकू संग्रह ‘मन के मोती’ की प्रकाशन प्रक्रिया जारी है। लेखनी से आपको राष्ट्रीय पुष्पेन्द्र कविता अलंकरण-2016 और अमृत सम्मान भी प्राप्त हुआ है।
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Thu Jun 15 , 2017
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