देर से बहुत आए..

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amit shukla
कसक दिल की दिल में छुपाए- छुपाए।
ये भी नहीं याद कि कब मुस्कराए।।

हम जब फना हो गए उनकी खातिर।
आए भी तो देर से बहुत आए।।

था मौजूद पानी तो तुमने न मानी।
रेत में कोई कश्ती अब कैसे चलाए।।

अंधेरों से सीखा सबक जिन्दगी का।
रोशनी में ही दिखते हैं खुद के साए।।

                                                   #अमित शुक्ला

matruadmin

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