
पानी है अनमोल,
समझो इसका मोल।
जो अभी न समझोगे,
तो सिर्फ पानी नाम सुनोगे।
आने वाले वर्षों में,
पानी बनेगा एक समस्या ।
देख रहे हो जो भी तुम,
अंश मात्रा है विनाश का।
जो दे रहा तुमको संकेत।
जागो जागो सब प्यारे,
करो बचत पानी की तुम।
बूंद बूंद पानी की बचत से,
भर जाएगा सागर प्यारा।।
बिन पानी कैसे जीयेंगे,
पड़े पौधे और जीव जंतु।
और पानी बिना मानव,
क्या जीवित रह पाएगा।
बिन पानी के वो,भी मर जायेगा।
और भू मंडल में कोई,
नजर नही आएगा।
इसलिए संजय कहता है,
नष्ट न करो प्रकृति के सनसाधनों को।।
बचा लो पानी वृक्षो और पहाड़ों को।
लगाओ और लगवाओ,
वृक्षो को तुम अपनो से।
कर सके ऐसा कुछ हम,
तभी मानव कहलाओगे।
पानी विहीन भूमि में,
पानी को तुम पहुँचोगे।
और पड़ी बंजर भूमि को,
फिर से हराभरा कर पाओगे।
और एक महान कार्य करके,
दुनियां को दिखाओगे।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।00