
तब कजन भी भाई हुआ करते थे अब भाई से भी होती बात नहीं
तब गली मोहल्ले सुनते थे अब घरवालों की भी कुछ कहने की औकात नहीं
तब कई दिन की रिश्तेदारी थी अब मिलने को एक रात नहीं
तब सबके घर आना जाना था अब अपनों से भी बात नहीं,,,
तब यारों का साथ ही प्यारा था अब फेसबुक से यारी है,,,
तब गोरी की चिट्टियां आती थी अब ऑनलाइन दिलदारी है,,,
तब लाला जी का बहीखाता था अब फ्लिपकार्ट की खरीदारी है,,
तब आंख में शर्म का पानी था अब किसी बड़े का मान नहीं,,,
तब घुंघट में भी नारी की शोभा थी अब क्यों नारी का सम्मान नहीं,,,
#सचिन राणा हीरो