तब कजन भी भाई हुआ करते थे अब भाई से भी होती बात नहीं
तब गली मोहल्ले सुनते थे अब घरवालों की भी कुछ कहने की औकात नहीं
तब कई दिन की रिश्तेदारी थी अब मिलने को एक रात नहीं
तब सबके घर आना जाना था अब अपनों से भी बात नहीं,,,
तब यारों का साथ ही प्यारा था अब फेसबुक से यारी है,,,
तब गोरी की चिट्टियां आती थी अब ऑनलाइन दिलदारी है,,,
तब लाला जी का बहीखाता था अब फ्लिपकार्ट की खरीदारी है,,
तब आंख में शर्म का पानी था अब किसी बड़े का मान नहीं,,,
तब घुंघट में भी नारी की शोभा थी अब क्यों नारी का सम्मान नहीं,,,
#सचिन राणा हीरो
Read Time52 Second
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
April 13, 2021
अम्बे माँ
-
March 1, 2019
गीता गाएँ
-
April 26, 2019
अबकी गेहूं मा रोइ दिहिन।
-
October 3, 2018
तनहा
-
November 16, 2023
चलो, एक काम करने चलें