काश..!!

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sunita upadhyay
2122  1212  22
मयकदे की शराब हो जाते
आप थोड़े ख़राब हो जाते
*******
ख़ार होते नहीं जो दामन में।
आप बेशक गुलाब हो जाते।
********
कनखियों से जोे देखती तुमको।
उस हसीं का हिजाब़ हो जाते।
********
जिसमें क़लमा रहे मुहब्बत का।
ऐसी कोई किताब…  हो जाते।
*******
इक नज़र प्यार की तू कभी डाले।
आशना बेहिसाब …….हो जाते।
********
पड़ गया जो अकाल धरती पे।
हम नदी फिर चिनाब हो जाते।
#सुनीता उपाध्याय `असीम`
परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में  विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है। 

matruadmin

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